राज्यसभा चुनाव में जिस तरफ से समाजवादी पार्टी के अंदर बगावत हुई उसे देखते हुए अखिलेश यादव चौकन्ने हो गये हैं। यही वजह है कि एमएलसी चुनाव से लेकर आगामी लोकसभा चुनाव में अखिलेश के रणनीतिकारों ने अब खुलकर पीडीए वाला दांव खेलने की सलाह दी है। अखिलेश के पीडीए का कार्ड सबसे पहले तो एमएलसी के चुनाव में ही नजर आ रहा है।
एमएलसी में समाजवादी पार्टी ने जिन 3 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है उसमें दो ओबीसी और एक मुस्लिम चेहरा शामिल है। यानि इस बार अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले ही एमएलसी चुनाव में पीडीएयानी (पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक) को मौका दिया है। हांलाकि इस बीच सूत्रों का ये मानना है अखिलेश यादव ने अपने इस फैसले से अपनी पिछली गलती को सुधारने की कोशिश की है। दरअसल राज्यसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने जया बच्चन, आलोक रंजन और रामजी लाल सुमन को उम्मीदवार बनाया था। जिसके बाद पार्टी केअंदर ही ऐसी बगावत शुरू हो गयी थी। एक तरफ अपना दल कमेरावादी पल्लवी पटेल ने प्रत्याशियों पर सवाल खड़े किये थे तो वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इसे मुद्दा बनाया था। मामला इतना बिगड़ गया कि पार्टी के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग तक कर दी।
इस बार अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी में बगावत का जोखिम नहीं उठाना चाहते। लिहाजा इस बार एमएलसी के चुनाव में तीनों ही प्रत्याशी ऐसे बनाये गये हैं जिससे कोई उन पर सवाल ना खड़ा कर सके।
इस बीच आपको बता दें कि एमएलसी नामांकन के लिए कल यानी सोमवार को आखिरी दिन था। इसके बाद 12 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि नाम वापसी की तारीख 14 मार्च है। यूपी में 21 मार्च को विधान परिषद के लिए चुनाव करवाये जायेंगे और उसी दिन देर शाम तक नतीजे घोषित किये जायेंगे।