Purvanchal In Seven Years: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच सियासी जंग शुरु हो गई है। वहीं, भाजपा एक बार फिर सत्ता में आने का दावा कर रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी मिशन 80 के संकल्प को पूरा करने के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वह प्रदेश के अलग-अलग जिलों में जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं। ऐसे में योगी सरकार दावा कर रही है कि बीते सात वर्षों में प्रदेश के विकास के लिए अनेकों कार्य किये हैं। आइए जानते हैं योगी सरकार ने राज्य के कल्याण व उत्थान के लिए कौन-कौन से प्रयास किये हैं।
‘पूर्वांचल को लेकर जो संकल्पना की थी, उसे साकार भी किया’
बता दें, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) और नोएडा की स्थापना एक ही मकसद से एक ही साथ हुई थी पर दोनों के विकास में जमीन-आसमान का अंतर था। लेकिन, प्रदेश में योगी सरकार की अगुवाई में बहुत कुछ बदल गया है। बतौर सांसद उन्होंने गोरखपुर को केंद्र मानकर पूर्वांचल के विकास को लेकर जो संकल्पना की थी, उसे साकार कर साबित किया कि उनमें कल्पना के साथ उनको साकार करने की योग्यता भी है।
पूर्वांचल की पहुंच देश की राजधानी तक
बुनियादी ढांचे के मजबूत करने की बात हो या फिर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र की, शिक्षा क्षेत्र के हब की बात हो या फिर औद्योगिक वातावरण के सृजन की, हर क्षेत्र में पूर्वी उत्तर प्रदेश पश्चिमी यूपी से तालमेल करते नजर आरहे हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे समेत सिक्स और फोर लेन सड़कों के संजाल ने इस पिछड़े इलाके की सीधी और सुगम पहुंच प्रदेश और देश की राजधानी तक हो गई है। जबकि सात साल पहले इसी क्षेत्र में लचर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण, बाहरी लोग यहां आने से कतराते थे। सरकार ने इस क्षेत्र के एयर कनेक्टिविटी को भी फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया है।
सात वर्षों में मेडिकल हब बना पूर्वांचल
बीते सात वर्षों में स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र में पूर्वांचल मेडिकल हब के रूप में विकसित हो चुका है। सरकार ने पीएचसी स्तर पर इंसेफेलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर बनाकर इस बीमारी पर 95 प्रतिशत तक काबू पा लिया है। यहां सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक की भी सुविधा उपलब्ध है। हर जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली है। इनमें से अधिकांश ने मरीजों की सेवा भी शुरू कर दी है। इन मेडिकल कॉलेजों से मरीजों का मुकम्मल इलाज हो रहा है तो बड़ी संख्या में एमबीबीएस की सीटें मिलने से युवाओं को करियर का शानदार विकल्प भी मिला है। इसके साथ गोरखपुर में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के जरिये पूर्वांचल देश के उन चुनिंदा इलाकों में शामिल हो गया है, जहां हर प्रकार के बीमारियों की जांच और अनुसंधान की व्यवस्था उपलब्ध है।
पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित
पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था पूरी तरह कृषि आधारित रही है। यहां गन्ने की उत्तम खेती के कारण इसे चीनी का कटोरा कहा जाता था। योगी सरकार ने न केवल बस्ती जिले के मुंडेरवा और गोरखपुर के पिपराइच में हाईटेक चीनी मिलें खोलीं बल्कि आजमगढ़ की चीनी मिल की क्षमता का विस्तार किया। पिपराइच व मुंडेरवा की मिलें सल्फरलेस चीनी बनाती हैं, साथ ही कोजेन प्लांट से बिजली उत्पादन में भी आत्मनिर्भर हैं। किसानों के हित में ही गोरखपुर में दशकों से बंद खाद कारखाने की जगह दोगुनी क्षमता का नया कारखाना शुरू हो गया है। किसानों की बड़ी समस्या सिंचाई की रही है। इसके लिए सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को समर्पित कर दी गई है। पर्याप्त बिजली मिलने से उन इलाकों में भी सिंचाई का संकट समाप्त हुआ है जहां निजी ट्यूबवेलों पर ही आश्रित रहना पड़ता है।
शिक्षा के क्षेत्र में पूर्वी यूपी नई क्रांति का गवाह बना
शिक्षा के क्षेत्र में पूर्वी यूपी नई क्रांति का गवाह बना है। मंडल मुख्यालयों पर अटल आवासीय विद्यालय, हर जिले में राजकीय इंटर कॉलेज और महाविद्यालय, आईटीआई, पॉलिटेक्निक की सीरीज तैयार हुई है। आजमगढ़ में महाराजा सुहेलदेव के नाम पर विश्वविद्यालय बना। गोरखपुर में सैनिक स्कूल और स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट का उपहार मिला है। प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय भी पूर्वांचल के गोरखपुर में है। अब किसी भी ट्रेड की पढ़ाई के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं को बाहर जाने की जरूरत नहीं रह गई है।