केंद्र सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही ये कानून पूरे देश में लागू हो गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से बिना दस्तावेज आने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देने की राह खुल गयी। हालांकि 31 दिसंबर 2024 तक जो लोग भारत आ गये थे केवल उन्हे नागरिकता दी जाएगी।
भारत सरकार के इस फैसले के बाद जहां एक तरफ देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे शरणार्थियों ने जश्न मनाया तो वहीं, कई मुस्लिम धर्मगुरु हैं जो सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं। लखनऊ में मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि इतना बड़ा फैसला लिया गया है “मुस्लिम समुदाय को विश्वास में लेकर यह फैसला लेना चाहिए था, मौलाना अब्बास ने कहा कि लीगल सेल के द्वारा इस कानून को हम लोग समझेंगे फिर आगे जवाब भी देंगे। मौलाना ने कहा कि देश की आबादी बढ़ रही है ऐसे में दूसरे देश से लोगों को नागरिकता देना कितना सही है यह भी सरकार को समझना चाहिए। मौलाना ने कहा कि जैसे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश के अल्पसंख्यक को नागरिकता दी जा रही है इसी तरह वहां के पीड़ित मुसलमानों को भारत में नागरिकता दी जाए। मौलाना ने ओवैसी के बयान पर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि सड़क पर उतरने का फरमान देना गलत है, देश कानून और संविधान से चलेगा।
आपको याद दिला दें लखनऊ में CAA को लेकर जमकर हिंसा हुई थी, जिसके बाद पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर है। कल फैसला आने के साथ ही यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी जिलों के आला अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिये। इसके अलावा स्थानीय पुलिस ने पैरामिलिट्री फोर्स के साथ शहर के अलग-अलग हिस्सों में फ्लैग मार्च किया। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर निगरानी करने के भी निर्देश दिये हैं। साथ ही भ्रामक खबरें फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने के निर्देश दिये गये हैं। यूपी पुलिस की तरफ से शांति बहाल करने के लिए आम लोगों से भी सहयोग की अपील की है।