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क्या होती है अंतरिम जमानत ? क्या होते हैं नियम ?

Arvind Kejriwal | Interim Bail | shreshth uttar pradesh |

Arvind Kejriwal Interim Bail: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को राहत मिल गई। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिम जमानत क्या होती है? आज हम आपके लिए लेकर आए हैं इस बारे में पूरी जानकारी…

क्या होती है अंतरिम जमानत ?

अंतरिम जमानत को‌ Interim Bail कहा जाता है। यह जमानत एक छोटी अवधि की जमानत होती है।‌ कोर्ट इसे तब देता है, जब रेगुलर बेल की एप्लीकेशन पर सुनवाई चल रही होती है। दरअसल, जब कोई आरोपी या जेल में बंद शख्स रेगुलर बेल या नियमित जमानत की एप्लीकेशन दायर करता है तो कोर्ट इस मामले में चार्जशीट या केस डायरी की मांग करता है, जिससे आम जमानत पर फैसला लिया जा सके, लेकिन इन सब में समय लग सकता है। अदालत पूरे दस्तावेज देखती है। ऐसे में जेल में रहने वाला व्यक्ति अंतरिम बेल की मांग कर सकता है, जिससे कि वो शख्स उस अवधि तक, जब तक कि दस्तावेज कोर्ट तक नहीं पहुंचते, कस्टडी में रहने से राहत पा सके।

इस तरह से अंतरिम जमानत छोटी अवधि की एक अस्थाई जमानत होती है। अदालत दस्तावेज मिलने के बाद आगे आम जमानत पर सुनवाई करता है।‌ अंतरिम जमानत( Interim Bail) का प्रावधान इसलिए है कि दस्तावेजों में देरी की वजह से किसी शख्स को ज्यादा वक्त तक कस्टडी में न रहना पड़े।

अंतरिम जमानत की कुछ शर्तें होती हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि अंतरिम जमानत देते वक्त कोर्ट कोई भी शर्त ना रखे। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि अंतरिम जमानत की शर्तें इस हिसाब से तय की जाती हैं‌ कि आरोपी मामले की जांच को प्रभावित न कर सके। अंतरिम जमानत देना या न देना पूरी तरह से कोर्ट का फैसला होता है और कोर्ट इस पर नियमों के दायरे में रहकर फैसला लेता है।

अब अगर इसी फैसले को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) से जोड़कर देखा जाए तो…. अदालत ने अरविंद केजरीवाल को एक जून तक अंतरिम जमानत दी है। ऐसे में केजरीवाल लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार कर सकेंगे और वोट डाल सकेंगे।

क्या नहीं कर सकेंगे केजरीवाल ?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अंतरिम जमानत मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल को अपने आधिकारिक कर्तव्य निभाने की अनुमति नहीं होंगी। वो मुख्यमंत्री के रूप में कामकाज नहीं कर सकेंगे।

जमानत कितनी तरह की होती है ?

अग्रिम जमानत – इसे एंटीसिपेटरी बेल (Anticipatory bail) कहा जाता है। खासतौर पर यह उन आरोपियों को दी जाती है, जिन्हें आशंका होती है कि उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है।

साधारण जमानत – साधारण जमानत भारत के हर नागरिक का अधिकार है। यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो वह साधारण जमानत के लिए कोर्ट में अपील कर सकता है। CRPF की धारा 437 के तहत कोर्ट ऐसे व्यक्ति को साधारण जमानत दे सकता है।

थाने से जमानत – यदि कोई व्यक्ति एक बार पुलिस थाने में गिरफ्तार होकर आता है तो न्यायालय के अतिरिक्त थाने के पास भी जमानत देने का अधिकार होता है, लेकिन ये जमानत केवल कुछ सामान्य केसों में होती है। मसलन – मारपीट, गाली-गलौज, धमकी देना जैसे छोटे और मामूली अपराध।

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की आबकारी नीति 9 ( Delhi Excise Policy) 2021-22 से जुड़े मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। बता दें, आम आदमी पार्टी की सरकार पर शराब कारोबारियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने और बदले में 100 करोड़ की रिश्वत लेने का आरोप है। इस मामले में पहले ही आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और बीआरएस की नेता के कविता को भी गिरफ्तार किया गया था। ऐसे में अरविंद केजरीवाल चौथे हाई प्रोफाइल नेता बने, जिन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया गया था।

शराब कारोबारियों का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ा दिया था

ईडी का कहना है कि शराब नीति के तहत दिल्ली सरकार ने शराब कारोबारियों का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ा दिया था, जिसमें से कुछ हिस्सा रिश्वत के रूप में लिया गया था। जैसे कि होलसेल शराब कारोबारी के लिए 12% प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाया था, जिसमें से आधा हिस्सा ‘आप’ नेताओं को मिला था।

ऐसे इस्तेमाल हुए थे 100 करोड़ रुपये

ईडी का आरोप है कि यह नई आबकारी नीति अरविंद केजरीवाल के दिमाग की ही उपज थी। ईडी ने यह भी बताया कि ‘आप ‘को इस मामले में जो 100 करोड़ रुपए मिले थे, उसमें से 45 करोड़ रुपए 2022 में गोवा विधानसभा चुनाव के लिए इस्तेमाल किए गए थे। इस तरह से आम आदमी पार्टी भी इस घोटाले की हिस्सेदार बन गई थी। ईडी ने ये बात दिसंबर 2023 में संजय सिंह के खिलाफ दायर चार्जशीट में बताई थी।


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