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नोएडा की ‘लोटस 300’ में ईडी की जांच पर अंतरिम रोक, जानें क्या है मामला…

उत्तर प्रदेश के नोएडा की ‘लोटस 300’ सोसायटी प्रॉजेक्ट में शुरू हुई ईडी की जांच पर अंतरिम रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक स्टे लगा दिया है। वहीं, एक बार फिर इस लग्जरी हाउसिंग प्रॉजेक्ट के फ्लैट बायर्स को उनके फ्लैट की रजिस्ट्री की उम्मीद जगी है।
Noida Lotus 300 | ED investigation | Supreme Court | Shreshth uttar pradesh |

उत्तर प्रदेश के नोएडा की ‘लोटस 300’ सोसायटी प्रॉजेक्ट में शुरू हुई ईडी की जांच पर अंतरिम रोक लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक स्टे लगा दिया है। इस मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाशकालीन पीठ ने यह आदेश जारी किया। वहीं, एक बार फिर इस लग्जरी हाउसिंग प्रॉजेक्ट के फ्लैट बायर्स को उनके फ्लैट की रजिस्ट्री की उम्मीद जगी है।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, नोएडा की ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट लोटस-300 के फ्लैट बायर्स अपनी रजिस्ट्री के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बिल्डर का बकाया न जमा होने की वजह से फ्लैटों की रजिस्ट्री रुकी होने पर बायर्स हाईकोर्ट गए थे। वहीं, हाईकोर्ट ने 29 फरवरी को नोएडा अथॉरिटी को रजिस्ट्री करवाने का आदेश दिया था। इसके साथ ही ईडी को जांच का आदेश दिया था। ईडी ने सेक्टर-107 स्थित ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट लोटस-300 की PMLA एक्ट 2002 के तहत जांच शुरू की थी। ईडी की जांच शुरू होने पर बिल्डर ग्रुप में अफरा-तफरी मच गई थी। बात करें, लोटस-300 सोसायटी की, तो यह जमीन हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (एचपीपीएल) को लोटस 300 परियोजना विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी। एचपीपीएल कई कंपनियों का एक गठजोड़ है, जिसमें पेबल्स इन्फ्रोटेक की महत्वपूर्ण भूमिका है।

फ्लैट बायर्स को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

प्रोजेक्ट के फ्लैट बायर्स का कहना है कि नोएडा अथॉरिटी और बिल्डर ग्रुप दोनों ही हाईकोर्ट के आदेश पर रिव्यू के लिए गए थे, लेकिन कोर्ट ने दोनों की ही रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया। वहीं, दूसरी तरफ बिल्डर ग्रुप सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान लोटस-300 सोसायटी के एओए प्रेसिडेंट का कहना था कि कोर्ट में बिल्डर की तरफ से अपना पक्ष रखा गया। बायर्स की तरफ से बताया गया कि अथॉरिटी के अधिकारियों ने समय पर बकाया जमा नहीं करवाया इसलिए उसका खामियाजा फ्लैट बायर्स को भुगतना पड़ रहा है। इस पर कोर्ट ने सभी पक्ष से दस्तावेज भी मांगे हैं। फ्लैट बायर्स का कहना है कि बिल्डर की तरफ से यह सूचना दी गई कि बकाया जमा किया जा चुका है, जबकि अथॉरिटी अधिकारियों ने बताया कि लोटस-300 पर करीब अथॉरिटी का 166 करोड़ रुपये बकाया है।

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एओए प्रेजिडेंट ने बताया कि अगर फ्लैट बायर्स जागरूक न होते तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा न खटखटाते। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश का समय पर पालन कराने का आदेश दे दिया है तो यहां के बायर्स ने रजिस्ट्री शुरू करवाने की मांग नोएडा अथॉरिटी से की है।


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