Noida: उत्तर प्रदेश के नोएडा में हैसिंडा प्रोजेक्टस कम्पनी की लोटस-300 आवासीय परियोजना में 426 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े में एक और घालमेल का पता चला है। जी हां, 426 करोड़ रुपये की जमीन का करीब आधा हिस्सा (236 करोड़ रुपए) किसी दूसरे बिल्डर को बेच दिया गया। इस हिस्से के 236 करोड़ रुपए से कुछ रकम ही नोएडा प्राधिकरण में जमा की गई। ईडी को पता चला कि तत्कालीन सीईओ मोहिन्दर सिंह और इस बिल्डर की साठगांठ से ऐसा हुआ है।
ईडी ने नोएडा प्राधिकरण से इस खरीद फरोख्त के दस्तावेज मांगे है। उसकी एक टीम नोएडा पहुंच गई है। सोमवार को कार्यालय में इससे जुड़े कई दस्तावेज खंगाले जाएंगे। जांच ईडी के रडार पर कई कर्मचारी आ सकते हैं।
पांच दिन पहले ईडी ने एक मामले में चंडीगढ़, मेरठ, दिल्ली, गोवा और हरियाणा में व्यापक तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान चंडीगढ़ में रहने वाले सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के घर से पांच करोड़ रुपये के सॉलिटेयर हीरे सहित कुल सात करोड़ रुपये के हीरे और नकदी बरामद की गई।
इसी तरह साठगांठ में शामिल बिल्डर आदित्य के घर से पांच करोड़ रुपये के हीरे मिले थे। इस मामले में पूर्व आईएएस मोहिन्दर सिंह के खिलाफ कई साक्ष्य मिलने का दावा किया गया। ईडी ने मोहिन्दर सिंह के अलावा सुरप्रीत सूरी, विदुर, निर्मल, आदित्य गुप्ता, आशीष गुप्ता के दिल्ली, नोएडा, मेरठ, गोवा और चंडीगढ़ में 18 स्थानों पर बड़ी कार्रवाई की थी।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि बिल्डरों से मिलीभगत कर हैसिंडा प्रोजेक्ट कंपनी को 426 करोड़ रुपये की जमीन अवैध तरीके से आवंटित की गई थी। इस जमीन में से 190 करोड़ रुपये की जमीन पर प्लॉट और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बना दिए गए, जबकि बाकी जमीन पर आवासीय परियोजना बनाई जानी थी।
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हालांकि, जांच में पता चला है कि 236 करोड़ रुपये की जमीन को एक अन्य बिल्डर को बेच दिया गया था। एक यूट्यूबर द्वारा इस मामले में उठाई गई बातों ने भी इस घोटाले पर प्रकाश डाला।
जब दस्तावेजों की जांच की गई तो पाया गया कि यह 236 करोड़ रुपये नोएडा विकास प्राधिकरण के खाते में जमा ही नहीं हुए थे। ईडी सूत्रों के अनुसार, इस जमीन की बिक्री के नाम पर केवल कुछ करोड़ रुपये ही प्राधिकरण के खाते में जमा हुए हैं। इस गंभीर मामले को देखते हुए ईडी ने अब सभी संबंधित दस्तावेज विभाग से मांगे हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, नोएडा प्राधिकरण में हुई जमीन घोटाले में केवल एक पूर्व आईएएस अधिकारी और एक बिल्डर ही शामिल नहीं हैं। इस घोटाले में जमीन की रजिस्ट्री से लेकर सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार करने में कई अन्य कर्मचारी भी शामिल थे।
ईडी के जांच अधिकारियों का कहना है कि जमीन सौदे में जितने भी लोगों ने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए हैं, वे सभी इस जांच के दायरे में हैं। इन सभी से पूछताछ की जाएगी और उनकी भूमिका की जांच की जाएगी।