UP News: राज्य सरकार ने सरकारी नौकरियों में पदोन्नति के लिए एक नई नीति जारी की है। इस नीति के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी को पहले किसी गलती के लिए दंडित किया गया है तो अब उसे दूसरी बार पदोन्नति के लिए अयोग्य नहीं माना जाएगा।
हाल ही में, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति से जुड़ी कुछ समस्याओं पर चर्चा की गई।
मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश
मुख्य सचिव के आदेश के बाद जारी किए गए इस शासनादेश में पदोन्नति प्रक्रिया को और स्पष्ट किया गया है। पहले, अगर किसी कर्मचारी को कोई दंड दिया गया था, तो उसे पदोन्नति मिलने में मुश्किल होती थी। लेकिन अब, अगर ऐसा कोई कर्मचारी पदोन्नति पा लेता है, तो चयन समिति यह जांच करेगी कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप कितने गंभीर थे। अगर आरोप बहुत गंभीर हैं, तो समिति यह तय कर सकती है कि उस कर्मचारी को पदोन्नति नहीं मिलनी चाहिए।
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इसके अलावा, शासनादेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अब से सभी पदोन्नतियां मेरिट के आधार पर ही की जाएंगी। मतलब, सबसे योग्य उम्मीदवार को पदोन्नति मिलेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पदोन्नति में किसी तरह का पक्षपात नहीं होगा।