लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में मायावती की एकला चलो की नीति जनता ने पूरी तरह से खारिज कर दी है। जो BSP 2019 में डबल डिजिट में पहुंची थी वो 2024 में 2014 की तरह ही शून्य पर ही सिमट कर रह गई है। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि लखनऊ में BSP की 23 जून को समीक्षा बैठक प्रस्तावित है, लेकिन ख़बर ये नहीं है कि BSP समीक्षा बैठक करने वाली है, बल्कि असली ख़बर तो ये है कि इस बैठक में आकाश आनंद को नज़रदांज किया जा सकता है। ख़बर है कि BSP की समीक्षा बैठक के लिए आकाश आनंद (Akash Anand) को बुलावा नहीं भेजा गया है। आकाश आनंद की ये अनदेखी उनके सियासी भविष्य पर कई सवाल खड़े करती है।
दरअसल 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, मायावती (Mayawati) ने अपने भतीजे आकाश आनंद को BSP नेशनल कॉर्डिनेटर बनाया था और अपना उत्तराधिकारी भी नियुक्त किया था। लेकिन फिर विवादित बयान देने के कारण बवाल बढ़ता देख मायावती ने उन पर एक्शन लिया था और आकाश आनंद को न सिर्फ नेशनल कॉर्डिनेटर पद से हटाया गया था, बल्कि उन्हें मायावती ने अपने उत्तराधिकारी के पद से भी हटा दिया था।
ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे, जब BSP हार की समीक्षा करेगी, तो कहीं न कहीं आकाश आनंद के सियासी भविष्य पर भी मंथन होगा। उनकी जिम्मेदारियों को लेकर भी सोचा जाएगा। उनकी पार्टी में क्या भूमिका रहेगी, इस बात पर BSP मंथन करेगी। क्योंकि जिस तरीके से आकाश आनंद ने लोकसभा चुनाव के शुरुआती दौर में BSP के प्रचार की कमान संभाली थी, तो उनका आक्रमक अंदाज़ सुर्खियां बंटोर रहा था।
रैलियों में उमड़ती भीड़ इस बात की गवाही दे रही थी कि आकाश आनंद सियासत में लंबी रेस के महारथी साबित हो सकते हैं। लेकिन फिर जिस तरीके से आकाश आनंद की छुट्टी हुई, उन पर कार्रवाई हुई और 2024 लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान से गायब हुए। उसने न सिर्फ BSP पार्टी बल्कि BSP के कार्यकर्ताओं को भी बड़ा झटका दिया था और अंदरखाने मांग उठने लगी थी कि BSP आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। लेकिन जो ख़बरें आ रही है वो तो यही संकेत दे रही है कि हाल फिलहाल आकाश आनंद के सियासी भविष्य पर BSP वेट एंड वॉच की भूमिका में ही रहने वाली है।
बीजेपी जनता से ले रही हार का बदला… जानें अखिलेश यादव ने ऐसा क्यों कहा
ख़बर है कि BSP सुप्रीमो मायावती 23 जून को समीक्षा बैठक करेगी। पार्टी के सभी जिम्मेदार पदाधिकारियों, जिलाध्यक्ष को शामिल रहने का निर्देश दिया गया है, वो बैठक में मौजूद रहे। बैठक में हार के कारणों पर मंथन होगा।। साथ ही 2027 UP विधानसभा चुनाव से पहले BSP संगठन को जमीन पर मजबूत बनाने की प्लानिंग होगी और तो और उन 9 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चयन और BSP के जीत के समीकरण को लेकर भी चर्चा हो सकती है। जहां जल्द ही उपचुनाव होने हैं क्योंकि जैसे हालात 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद BSP के लिए उपजे वो यही संकेत देते हैं कि अगर BSP ने अभी कोई बड़ा बदलाव अपनी रणनीति या फिर संगठन में नहीं किया तो आने वाला वक्त में BSP के लिए और भी चुनौती भरा हो सकता है। क्योंकि BSP वर्तमान में पूरी तरह से हाशिए पर चली गई। ऐसे में BSP को नई सोच, नए जोश की सख्त जरुरत है ताकि जमीन पर BSP का खोया हुआ जनाधार वापस मिल सके।
BSP को मंथन के दौर से निकलकर, नई रणनीति बनानी ही पड़ेगी। क्योंकि एक तरफ अखिलेश यादव और राहुल गांधी की सियासी दोस्ती पर जनता ने 2024 में मुहर लगा दी है, तो दूसरी तरफ चंद्रशेखऱ ने नगीना में लोकसभा चुनाव जीतकर दलितों से जुड़ी राजनीति पर अपना दावा ठोक दिया है। इसलिए यही वक्त है जब विरोधियों की चुनौती से निपटने के लिए हाथी को अपनी सियासी चाल बदलनी होगी।