श्रीराम की जन्मस्थली के बाद अब भारत की तपोस्थली को विकसित करने की तैयारी है। इसकी शुरुआत भरत कुंड रेलवे स्टेशन को अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन की तर्ज पर डेवलप करने से होगी तो भारत की तपोस्थली के साथ-साथ 84 कोसी परिधि में श्रीराम से जुड़े स्थान का 8000 करोड़ की लागत से इस तरह सौंदर्यीकरण किया जाएगा कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालु बरबस उस तरफ खिंचे चले जाएं।
भरत की तपोस्थली के रूप में विख्यात भरत कुंड वह स्थान है जहां भारत में 14 साल तक श्रीराम की खड़ाऊ रखकर अयोध्या का राज काज चलाया था। श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के बाद अब भरत की तपोस्थली को विकसित किया जाएगा। इसके लिए 41 करोड़ का बजट भी स्वीकृत हो चुका है। भरतकुंड रेलवे स्टेशन के साथ भरत की तपोस्थली के सौंदर्यीकरण का काम भी शुरू हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वर्चुअल तौर पर भरत कुंड रेलवे स्टेशन प्रोजेक्ट की घोषणा भी कर दी।
लल्लू सिंह सांसद अयोध्या, भरतकुंड में अभी रेलवे स्टेशन का सौंदरीकरण हो रहा है इस तपस्या स्थल पर 41 करोड रुपए का स्वीकृति हुई है फिर उसे पर जो बनाया जा रहा है अधिकारियों के द्वारा किस प्रकार से उसको स्वीकृत करें राजकीय निर्माण निगम जो है उस काम को करेगी। इसी के साथ अयोध्या की 84 कोसी परिधि में स्थित श्री राम से जुड़े स्थानों को सौंदर्यीकरण और विकसित किया जाएगा । इसके लिए 8000 करोड़ का बजट तय किया गया है। कोशिश यह होगी कि अयोध्या आने वाले श्रद्धालु इन स्थानों पर भी जाएं और अयोध्या के महात्म को जाने। इससे श्रद्धालु श्री राम मंदिर का दर्शन करके वापस नहीं जाएंगे बल्कि एक से दो दिन अयोध्या में रखेंगे और इससे अयोध्या का आर्थिक विकास तो होगा ही रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।
लल्लू सिंह सांसद अयोध्या, चौरासी कोसी पर लगभग डेढ़ सौ पौराणिक धार्मिक स्थल है, ऋषि मुनियों की जन्मस्थली है, तपोस्थली है, चौरासी कोसी पथ के साथ साथ जो 8 हजार करोड़ रुपए की परियोजना है उसके साथ साथ इन सारे धार्मिक तीर्थस्थलों को तपस्यास्थली को जन्मस्थलीयो को हम उसका सुन्दरीकरण करके पूरे देश और दुनिया को ले जाकर दिखाना चाहते है। क्योंकि वह हमारे संस्कार केंद्र भी है इसलिए हम उसी के माध्यम से उन सारे महापुरुषों का ऋषि मुनियों का और जहां भगवान राम से जुड़े स्थान हैं उन सब का दर्शन कर करके और उनके जीवन चरित्र को वहां के माध्यम से उसका संदेश देकर के समाज को एक संस्कार देने का काम करेंगे भारतीय संस्कृति का पहचान देने का काम करेंगे।