श्रेष्ठ उत्तर प्रदेश (Shresth UP) | Hindi News

Follow us

Follow us

Our sites:

|  Follow us on

‘कालीन भइया’ विजय मिश्रा का पॉलिटिकल डेब्यू

विजय मिश्रा के सपने बहुत बडे़ थे, इसलिए पैसे कमाने के फेसला किया जिसके लिए उसे अपना घर छोड़ना होगा,वर्ष 1978 में विजय मिश्रा अपना घर छोड़कर भदोही चला गया,भदोही में विजय मिश्रा को अब्बू के व्यक्ति ने कालीन एक्सपोर्टर नौकरी दे दी।

Vijay Mishra News: यह कहानी है कालीन भैया उर्फ विजय मिश्रा 90 दशक के सबसे बड़े माफिया की जिनका जन्म 7 सितंबर 1957 प्रयागराज की हंडिया कोतवाली में खपड़िया गांव में हुआ उनके पिता ब्राह्मण रामदेव मिश्रा दिहाड़ी मजदूरी थे,पिता रामदेव ने आर्थिक के बाद भी विजय मिश्रा के पालन पोषण में कोई कमी नहीं की।

विजय मिश्रा का खपटिया के प्राइमरी स्कूल में दाखिला कराया गया,पिता रामदेव के कमाई का आधा पैसे बेटे की पढ़ाई में लग जाता था, विजय मिश्रा पढ़ाई में बहुत तेज था,स्कूल के टीचर भी विजय मिश्रा की बहुत तारीफ करता था, विजय मिश्रा ने 1976 में हंडिया के डिग्री कालेज से बीए किया, और सरकारी नौकरी के लिए सोचने लगा।

पैसे की कमी के कारण उसे हमेंशा परेशानी का सामना करना पड़ा, विजय मिश्रा के सपने बहुत बडे़ थे, इसलिए पैसे कमाने के फेसला किया जिसके लिए उसे अपना घर छोड़ना होगा,वर्ष 1978 में विजय मिश्रा अपना घर छोड़कर भदोही चला गया,भदोही में विजय मिश्रा को अब्बू के व्यक्ति ने कालीन एक्सपोर्टर नौकरी दे दी।

विजय मिश्रा का काम बकाया वसूली का था, विजय मिश्रा दिमाग का बहुत तेज था,उसे कैसे क्या करना है काम को अच्छी तरीके से करने लगा,पैसे और कारोबार मे विजय मिश्रा ने अच्छी पकड़ बना ली,उसके बाद विजय मिश्रा का कालीन के बड़ें कारोबारियों के साथ उठना बैठना शुरू हो गया, विजय मिश्रा को लेन देन के मामले में किसी को मारना भी होता तो वो मारने में सोचता नही था।

विजय मिश्रा की क्राइम की दुनिया में शुरूवात वही से हुई,बताया जाता है कि विजय मिश्रा ने कालीन के कारोबार को बढ़लने के लिए बहुत क्राइम किये,उसके बाद से विजय मिश्रा का नाम कालीन भाइय पड़ा।

विजय मिश्रा जिस कालीन की कंपनी में काम करता था,उसके मालिक अब्बू का नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते थे,इस बात का फायदा विजय मिश्रा को भी मिलता था,धीरे-धीरे विजय मिश्रा ने भदोही में अपना पेट्रोल पम्प खोल दिया,आये दिन नेताओं के साथ उठते बैठते विजय मिश्रा का भी राजनीति में आने का मन हुआ।

भदोही की राजनीति में ठाकुर उदयभान सिंह उर्फ डाक्टर का बहुत नाम था,और उन्हे टक्कर देने के लिए किसी तेज-तर्रार व्यक्ति की जरूरत थी,तब भदोही के ब्राह्मण नेताओं की नजर कालीन भैया उर्फ विजय मिश्रा पर पड़ी,परेशान नेताओं को विजय मिश्रा का सर्पोट मिला,विजय मिश्रा ने मंच कर कहा कि अगर आप लोगो का साथ मिला तो किसी भी ठाकुर को उदयभान तो क्या किसी भी इलाके में आने पनपने नही दूंगा,इस रैली के बाद कालीन भैया उर्फ विजय मिश्रा का नाम भदोही के ब्राह्मण नेताओं में लिया जाने लगा।

वर्ष 1980 में बुरका पहनकर आए कुछ बदमाशों ने बसपा सरकार में मंत्री रहे रंगनाथ मिश्रा के बड़े भाई डाक्टर धरणीधर मिश्रा की मिर्जापुर में हत्या कर दी गई ,का आरोप विजय मिश्रा पर लगा,लेकिन विजय मिश्रा की पकड़ इतनी मजबूत थी की इस मामले को कोर्ट पहुंचने से पहले ही रफा दफा कर दिया गया, ब्राह्मणो को साथ मिला तो विजय मिश्रा आगे बढ़ता गया,यूपी के कमलापति राजनीति में बहुत नाम था।

वर्ष 1982 में बनारस में कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी ने विजय मिश्रा को पार्टी में शामिल कर लिया,उसके बाद ही समय की नजाकत को देखते हुए विजय मिश्रा ने कमलापति से मदद मांगी,और कहा की मेरा भदोही में बहुत छोटा बिजनेस है,और एक पेट्रोल पंप है,और कुछ ट्रक भी है लेकिन भदोही में ठाकुर उन्हे बहुत परेशान करतो है,पैसे की वसूली करते है।
आप मेरी सहायता कर देगे,तो अच्छा होगा, कमलापति क्राइम से दूर रहते थे लेकिन ब्राह्मणों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे ,कमलापति ने विजय मिश्रा का साथ दिया,और वर्ष 1990 में कमलापति ने विजय मिश्रा को भदोही के डीघ ब्लाक से टिकट दिलवा दिया।

विजय मिश्रा ने जीत हासिल की और उसे डीघ ब्लाक का प्रमुख बनाया गया,उसके बाद विजय मिश्रा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा,विजय मिश्रा के राजीव गांधी से भी अच्छे रिश्ते बन गए थे,1991 में राजीव गांधी के निधन के बाद विजय मिश्रा का कांग्रेस पार्टी से रिश्ता खत्म हो गया।

उसके बाद विजय मिश्रा ने एक इंटरव्यू मे बताया कि वर्ष 2000 मे नेताजी ने मुझे बुलाया और एक समस्या को हल करने के लिए कहा,ये बात है की भदोही के शिवकरण यादव जिला पंचायत अध्यक्ष थे,शिवकरण यादव ने नेताजी को गाली दी थी,इसलिए नेताजी चाहते थे कि अगले चुनाव में उसे हरा दिया जाए,उसके बाद हमें जिला पंचायत के 3 टिकट दिये गये,और तीनों सीटों पर हमने जीत हासिल की,उसके बाद नेताजी को हम पर भरोसा हो गया।

2002 में विधानसभा का चुनाव होना था,विजय मिश्रा ने सपा पार्टी से विधायक की टिकट माँगी तो नेताजी मना नही कर पाये,लेकिन एक शर्त रखी वो ये थी कि ज्ञानपुर के साथ-साथ मिर्जापुर और हंडिया में के भी सपा प्रत्याशी को जीतना होगा और विजय मिश्रा ने शर्त मंजूर कर ली,जब चुनाव का रिजल्ट आया तो विजय मिश्रा ने ज्ञानपुर सीट के साथ-साथ मिर्जापुर के कैलाश चौरसिया और हंडिया से महेश नारायण सिंह ने भी जीत हासिल की,और विजय मिश्रा विधायक बन गया।

डसके बाद विजय मिश्रा क्राइम की दुनिया में बहुत आगे बढ़ गये, विजय मिश्रा के खिलाफ 9 हत्या और 2 रेप का केस दर्ज है,इसके अलावा विजय मिश्रा पर भदोही में 50 मामले दर्ज है,वही मिर्जापुर में 3 वाराणसी में 1,मेरठ 1 वेस्ट बंगाल में 1 केस दर्ज है, विजय मिश्रा भदोही सीट से 4 बार विधायक रहे,जिन पर 6 महीने पहले ही रेप केस में दोषी करार दिया गया,और 15 साल की सजा सुनाई, भदोही की एमपी-एमएलए कोर्ट में केस चला।


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

uppsc protest
बैरिकेडिंग तोड़ UPPSC मुख्यालय में घुसे छात्र, डीएम और कमिश्नर भी मौजूद
IND vs SA 3rd T20
IND vs SA: भारत ने अफ्रीका को 11 रनों से दी मात, तिलक ने लगाया शानदार शतक
South Africa vs India 3rd T20
IND vs SA: भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच तीसरा टी20 मैच आज, जानें पिच रिपोर्ट
Supreme Court Issues Guidelines To Bulldozer Justice | executive and judiciary | Shresth uttar Pradesh |
सुप्रीम कोर्ट ने 'बुलडोजर न्याय' पर अंकुश लगाने के लिए जारी किए दिशा-निर्देश
Indecency with elderly woman in Air India flight | Shresth uttar Pradesh |
Air India की फ्लाइट में महिला के साथ अभद्रता, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को लिखा पत्र
Fatehpur Road Accident | Shresth uttar Pradesh |
कानपुर-प्रयागराज हाईवे पर बारातियों से भरी बस ट्रेलर से टकराई, हादसे में 3 की मौत; 10 घायल