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वोट नहीं रोटी मांगती थी, बैंडिट क्वीन, जानें फूलन देवी की जिंदगी की कहानी

phoolan devi life story

ये कहानी है यूपी के जिला जालौन में गांव गोरहा की, जहां 10 अगस्त 1963 को मल्लाह के घर एक लड़की का जन्म हुआ था। घर वालों ने बहुत प्यार से नाम रखा फूलन, फूलन का परिवार आर्थिक रूप से बहुत कमजोर था। फूलन जब 10 साल की हुई तब उनके चाचा ने परिवार को धोखा देकर फूलन के पिता की जमीन अपने नाम करवा ली। एक दिन फूलन ने गुस्से में आकर अपने चाचा पर ईंट चला दी, जिसके बाद फूलन के परिवार वालों ने उसकी शादी करा दी। 10 साल की फूलन की शादी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ करा दी गयी।

पति के घर पहुंचते ही फूलन पर अत्याचार की कहानी शुरू हो गयी। फूलन का पति फूलन के साथ रोज मारपीट और जबरजस्ती करता था। मारपीट होने के कारण फूलन आये दिन बीमार रहने लगी। उसके बाद फूलन अपने मायके चली गई और फूलन के पति ने दूसरी शादी कर ली। फिर फूलन के मायके वालों ने फूलन को ससुराल भेज दिया, लेकिन फूलन के साथ अत्याचार और बढ़ गया। फूलन का पति और दूसरी बीवी दोनो बहुत मारपीट करते थे। फूलन परेशान होकर चंबल के बीहड़ चली गई, वहां फूलन की मुलाकात डाकुओं से हुई।

चंबल में फूलन की मुलाकात डाकू विक्रम मल्लाह से हुई और उसने फूलन का साथ दिया। फूलन और डाकू विक्रम मल्लाह साथ में बहुत खुश थे, लेकिन ये बात दूसरे गैंग ठाकुरों को पंसद नही आई। फिर श्रीराम ठाकुर और डाकू लाला ठाकुर ने डाकू विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी और फूलन फिर अकेली पड़ गयी। फूलन को ठाकुर गैंग ने किडनैप कर लिया।

बताया जाता है कि फूलन को कानपुर के बेहमई गांव में 3 हफ्ते तक किडनैप कर के रखा गया था। फूलन के साथ गांव के अलग-अलग ठाकुरों ने गलत काम किया। 18 साल की फूलन 3 हफ्ते तक ये जुलम सहती रही। उसके बाद फूलन बड़ी मुश्किल से जान बचाकर वहां से चंबल की बीहाड़ों की ओर भाग गयी। वहां से भागने के बाद फूलन ने ठाकुरों से बदला लेने का प्रण लिया। फूलन ने खुद को मजबूत बनाने के लिए डाकुओं की फौज तैयार की। उसके बाद फूलन सिर्फ एक डाकु नही बल्कि डाकुओं की सरगना बन गयी थी। फिर फूलन 14 फरवरी 1981 को बेहमई गांव वापस आई और 20 ठाकुरों को फूलन देवी ने गोलियों से भून दिया। ये खबर जैसे ही पूरे देश में फैली देश में हड़कंप मंच गया।

बेहमई गांव में हुए इस नरसंहार के बाद तत्कालीन सीएम वीपी सिंह ने पद से इस्तीहा दे दिया। बताया जाता है कि फूलन देवी ने महिलाओं को प्रताड़ित करने वालों पर ही निशाना किया। फूलन देवी को अगर किसी भी महिला के साथ दुर्व्यवहार की जानकारी मिलती तो वो तुरंत एक्शन लेती थी। फूलन देवी ने चंबल से लौटने के बाद 3 साथियों के साथ मिलकर पूरे मल्लाह को इकट्ठा कर पूरी गैंग बना ली। फूलन देवी अमीरों को लूट कर गरीबों और मल्लाहों में पैसा बांट देती और फिर मल्लाह समाज के लोग फूलन देवी को अपना भगवान मानने लगे।

बेहमई गांव में हुए कांड के बाद फूलन देवी पर 22 हत्या, 18 किडनैपिंग और 30 डकैती का केस दर्ज किया गया। पूरे देश में फूलन देवी के गिरफ्तारी की मांग होने लगी। फूलन देवी ये बात अच्छे से जानती थी कि अगर यूपी मे कदम रखा तो वो मारी जाएंगी। फिर फूलन देवी ने मध्यप्रदेश के सरकार के सामने सरेंडर की सौदेबाजी की। 13 फरवरी 1983 मध्यप्रदेश के सीएम अर्जुन सिंह थे। फूलन देवी के सरेंडर के लिए भिंड जिले के एमजेएस कालेज मे एक कार्यक्रम रखा गया। फूलन देवी को देखने के लिए 10 हजार लोग काय्रक्रम पहुंचे थे। फूलन देवी ने लाल रंग का शाल, माथे पर लाल रंग का कपड़ा बांधे, खाकी रंग की वर्दी पहने अर्जुन सिंह की ओर गयी और खुद को सरेंडर कर दिया।

फूलन देवी 11 साल तक जेल में रही, फूलन देवी को इलाज के लिए 11 साल बाद पैरोल पर 1994 में रिहा किया गया, लेकिन कभी फूलन देवी को उत्तर प्रदेश जेल नही भेजा गया। यूपी मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने फूलन देवी पर चल रहे बेहमई हत्याकांड सहित सारे मुकदमे को वापस ले लिए।

फूलन देवी के जेल से निकले चारों ओर चर्चा में थी। फूलन देवी पर किताबे लिखे जाने लगी, फिल्में बने लगी और यहां तक कि विदेशी मिडिया भी फूलन देवी के इंटरव्यू के लिए पीछे पड़ गयी। यह सब देखते हुए मुलायम सिंह ने फूलन देवी को 1996 में चुनाव लड़ाने का ऐलान कर दिया। इस बीच मुलायम सिंह के नाम के नारे भी लगाये जाने लगे कि जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है, फूलन देवी के लिए जो मुलायम ने जो केस हटवाने और राजनीति में लाने का जो फ़ैसला किया वो राजनीति में इतिहास लिखने जैसा था।

मिर्जापुर के वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि फूलन देवी के लिए मिर्जापुर के बधुआ में सपा का कार्यालय बनाया गया। कार्यालय किराये के मकान में था। रोज इस कार्यालय में समाजवादी पार्टी के नेता और सर्मथको की बैठक होती। फूलन देवी ने नामांकन के दिन चुनाव चिहृ साइकिल लेकर पहुंची। प्रचार के दौरान फूलन देवी लोगो के घर में जाकर बुंदेली भाषा में माई रे रोटी दे-दे कहती और सब्जी नही होती तो गुड़ से ही रोटी खा लेती। फूलन देवी वोटर्स के दिल मे जगह बना ली।

विदेशी मीडिया फूलन देवी के इंटरव्यू के लिए रूपये तक देने को तैयार थी, फूलन देवी के इंटरव्यू के लिए विदेशी मीडिया मिर्जापुर तक आ गयी थी।

चुनाव का रिजल्ट आया तब फूलन देवी भाजपा के वीरेंद्र सिंह को 37 हजार वोटों से हराया। उसके बाद चारो ओेर फूलन देवी जिंदाबाद के नारे लगाने लगें, लेकिन उसके बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में फूलन देवी हार गयी और वीरेंद्र सिंह मस्त की जीत हुई। फिर 1991 में समाजवादी पार्टी ने तीसरी बार फूलन देवी को अपना प्रत्याशी बनाया। एक बार फिर फूलन देवी दोबारा सांसद बनी, लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही फूलन देवी की हत्या कर दी गई।


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