उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से भाजपा ने पार्टी से वरुण गांधी का टिकट काट दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अब वरुण गांधी किसी और पार्टी का रुख करते हैं या भाजपा में ही रहेंगे। इस मामले में वरुण गांधी ने चुप्पी साध रखी है। लोगों के मन में सवाल उठ रहें हैं कि लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही चार सेट नामांकन पत्र खरीदने वाले वरुण गांधी ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी है?
मेनका गांधी को सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ये सवाल और उठ रहे हैं। लेकिन, आज यानी बुधवार को यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि वरुण कहां जाएंगे। आज नामांकन का अंतिम दिन है।
पीलीभीत सीट से साल 1989 से है रिश्ता
अगर वरुण गांधी पीलीभीत सीट छोड़ देते हैं तो, उनके और उनके परिवार के इस सीट पर साल 1989 से चले आ रहे रिश्ते पर ब्रेक लग जाएगा। लेकिन, अगर वरुण गांधी किसी दूसरी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ते है ते, इसका सीधा असर पीलीभीत से छह बार की सांसद रहीं मेनका गांधी पर पड़ेगा।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा वरुण गांधी को अवध क्षेत्र की किसी वीआईपी सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है। हालांकि, इस बारे में अभी तक किसी की तरफ से कोई औपचारिक बयान नहीं आया है।
वरुण गांधी का अब तक का सियासी सफर
बता दें कि वरुण गांधी का जन्म 1980 में हुआ था। वरुण गांधी ने कम उम्र में ही राजनीति में महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कर लिया था। वो बीजेपी के सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। 2009 में वरुण पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। इसके बाद 2014 में वह सुल्तानपुर से सांसद बने, जिसके बाद फिर 2019 में वह पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए।