Lok Sabha Session 2024: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को राहुल गांधी, अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी और संबित पात्रा समेत कई सासंदों ने संसद सदस्य के रूप में शपथ ली। लेकिन अभी भी सात ऐसे सांसद हैं, जिन्होंने शपथ नहीं ली है। प्रोटेम स्पीकर ने पंजाब से सांसद और खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल का नाम लिया, लेकिन अमृतपाल की मौजूदगी नहीं थी। इसके अलावा सपा सांसद अफजाल अंसारी सदन में तो आए, लेकिन शपथ नहीं ले सके। आइए बताते हैं 18वीं लोकसभा में किस-किस सांसद ने शपथ नहीं ली है
गाजीपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने के बाद अफजाल अंसारी संसद में पहुंचे, लेकिन सभी को शपथ लेते ही देखते रहे और खुद शपथ नहीं ली। दरअसल, अफजाल गाजीपुर से लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं। वह मंगलवार को संसद भवन पहुंचे और अखिलेश यादव के पास बैठे थे। कुछ देर बाद वह संसद से बाहर चले गए, जिसके बाद अब बसपा सपा पर हमलावर हो गई है। बसपा ने इसके लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उन्होंने जनता के साथ धोखा किया है। अखिलेश जानते थे कि अफजाल को चार साल की सजा मिल चुकी है। इसके बावजूद उन्होंने गैर जिम्मेदाराना हरकतत करते हुए उन्हें टिकट दिया। संविधान बचाने के नाम पर संविधान के साथ खिलवाड़ किया है।
आपको बता दें कि गैंगस्टर एक्ट में एमपी-एमएलए कोर्ट ने बीते साल अफजाल को चार साल की सजा सुनाई थी। इसके कारण उनकी संसद सदस्यता चली गई थी। अफजाल ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थीट। वहां राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जब तक हाई कोर्ट से अफजाल की अपील पर फैसला नहीं आ जाता तब तक वह न तो संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं और न ही सदन में किसी मुद्दे पर वोटिंग कर सकते हैं। यही कारण है कि उन्हें संसद में शपथ नहीं दिलाई गई। हाई कोर्ट में अफजाल मामले की तीन जुलाई को सुनवाई होनी है। इसके बाद ही अफजाल अंसारी के शपथ लेने की संभावना है।
शपथ ना लेने वालों में दूसरा नाम
‘वारिस पंजाब दे’ के चीफ अमृतपाल सिंह मंगलवार 25 जून को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ नहीं ले पाए। उनका नाम पुकारा गया, लेकिन वो संसद में मौजूद नहीं थे। अमृतपाल सिंह डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं। दरअसल, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान नए सदस्यों का शपथ ग्रहण चल रहा है। सत्र के दूसरे दिन भी शपथ ग्रहण कार्यक्रम था और नियम के तहत अमृतपाल सिंह का नाम भी लिया गया था।
पंजाब के खडूर साहब सीट से लोकसभा सांसद निर्वाचित किए गए अमृतपाल सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है, जबकि हाल ही में उनके खिलाफ एनएसए की अवधि को एक साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया गया था। इस वजह से वह जेल से बाहर नहीं आ पाए। उन्हें और उनके 9 साथियों को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था और सभी असम की जेल में बंद हैं।
शपथ ना लेने वालों में तीसरा नाम
शपथ ना लेने वालों में तीसरा नाम आता है निर्दलीय उम्मीदवार राशिद इंजिनियर का। जम्मू-कश्मीर के बारामूला लोकसभा सीट से निर्दलीय जीते अब्दुल रशीद शेख लोकसभा में बतौर संसद सदस्य शपथ नहीं ले सके। दरअसल, रशीद शेख आतंकी फंडिंग मामले में आरोपी हैं और 2019 से जेल में बंद हैं। जेल में रहते हुए ही उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराया हैं। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को राशिद द्वारा दायर एक आवेदन पर 1 जुलाई तक जवाब देने को कहा, जिसमें सांसद के रूप में शपथ लेने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की गई थी। जिसके बाद मामले की सुनवाई 1 जुलाई के लिए तय की गई।
टीएमसी के 2 सांसद शपथ नहीं ले पाए शपथ
वहीं, टीएमसी सांसद शत्रुघन सिन्हा और हाजिर नरू इस्लाम ने भी शपथ नहीं ली है। हालांकि अभी ये पता नहीं लग पाया की इन्होंने आखिर शपथ क्यों नहीं ली। फिलहाल जिन सांसदों ने अभी शपथ नहीं ली है वो ना तो कोई वोट दे पाएंगे और ना ही संसद की कार्यवाई में कोई हिस्सा ले पाएंगे।
क्या कहता है नियम ?
नियम के तहत अगर कोई सांसद 60 दिनों तक संसद में उपस्थित नहीं होता है, तो उसकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है। कोर्ट ने इस आधार पर पहले भी जेल में बंद सांसदों को संसद में शपथ लेने की अनुमति दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, जून 2019 में पिछले लोकसभा के शपथ ग्रहण के दौरान उत्तर प्रदेश की घोसी से सांसद अतुल कुमार सिंह आपराधिक आरोपों के चलते जेल में थे। कोर्ट ने उन्हें जनवरी 2020 में संसद में शपथ लेने की अनुमति दी और उन्होंने संसद सदस्य के तौर पर शपथ ली।
क्या कहता है संविधान ?
दरअसल, अब संभावना इस बात पर टिकी है कि ये नवनिर्वाचित सांसद किस तरह शपथ लेंगे। संविधान के अनुसार, संसद सदस्य के रूप में शपथ लेना एक संवैधानिक अधिकार है। हालांकि, जेल में बंद होने के कारण उन्हें शपथ ग्रहण समारोह के लिए संसद तक ले जाने के लिए अधिकारियों से विशेष अनुमति लेनी होगी। समारोह के बाद उन्हें वापस जेल लौटना होगा।
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क्या है लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका ?
संविधान के अनुच्छेद 101(4) के अनुसार, जो बिना पूर्व मंजूरी के सदस्यों की अनुपस्थिति को संबोधित करता है, शपथ लेने के बाद, उन्हें सदन की कार्यवाही में शामिल होने में अपनी असमर्थता के बारे में अध्यक्ष को लिखित रूप से सूचित करना चाहिए। इसके बाद, अध्यक्ष उनके अनुरोधों को सदस्यों की अनुपस्थिति पर सदन की समिति को भेजेंगे, जो इस बारे में सिफारिशें करेगी कि सदस्य को कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। अंतिम निर्णय सदन में मतदान के लिए रखा जाएगा। हालांकि, एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि अगर इंजीनियर राशिद को दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल जेल की सजा सुनाई जाती है, तो वो तुरंत लोकसभा में अपनी सीट खो देंगे। यह 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है जो ऐसी परिस्थितियों में सांसदों और विधायकों को अयोग्य ठहराता है।