Sawan Third Somwar 2024: सावन का महीना भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। कहा जाता है कि इस पूरे महीने भोलेनाथ की कृपा दृष्टि अपने भक्तों पर सीधे बनी रहती है। इसलिए भक्त भगवान शिव को खुश करने के लिए खूब पूजा-अर्चना करते हैं। कई लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए सावन सोमवार का व्रत रखते हैं। आज यानी 5 अगस्त को तीसरे सोमवार का व्रत मनाया जा रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोमवार को अगर आप भोलेनाथ के इन तीन स्वरूपों की पूजा करते है, तो आपको मनचाहा वरदान मिलता है। शिवजी के इन स्वरूपों की उपासना अगर प्रदोष काल में करें तो इसका अधिक फल प्राप्त होगा।
शुभ मुहूर्त
सावन के तीसरे सोमवार पर आज पूरे दिन में तीन मुहूर्त बन रहे हैं। पहला मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त है, जो सुबह 4 बजकर 20 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 03 मिनट तक रहने वाला है और अश्लेषा नक्षत्र दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से लेकर 5 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। इसके इलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है। चलिए आपको बताते हैं भगवान शिव के इन तीन स्वरूपों के बारे में….
Sawan Third Somwar 2024: नीलकंठ स्वरूप
माना जाता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला तो शिव जी ने लोगों को बचाने के लिए विषपान किया था। उन्होंने विष को अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया। नीला कंठ होने के कारण ही भोलेनाथ के इस स्वरूप को नीलकंठ कहा जाता है। भगवान शिव के नीलकंठ स्वरूप की पूजा-अर्चना करने से शत्रु बाधा, षड्यंत्र और तंत्र-मंत्र जैसी चीजों का असर नहीं होता। सावन के सोमवार को शिव जी के नीलकंठ स्वरूप की उपासना करने के लिए शिवलिंग पर गन्ने का रस की धारा चढ़ाएं। इसके बाद नीलकंठ स्वरूप के मंत्र “ऊं नमो नीलकंठाय” का जाप करें। ऐसा करने से ग्रहों की हर बाधा समाप्त होती है।
Sawan Third Somwar 2024: नटराज स्वरूप
भगवान शिव को दुनिया के समस्त नृत्य संगीत और कला का आविष्कारक बताया जाता है। उन्होंने नृत्य कला के तमाम भेद और सूक्ष्म चीजें भी अपने शिष्यों को बताई और समझाई हैं। जीवन में सुख और शांति के लिए तथा आनंद का अनुभव करने के लिए नटराज स्वरूप की पूजा की जाती है। अगर आप ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत और अभिनय के क्षेत्र में सफलता पाना चाहते हैं, तो आपको भगवान शिव के इस स्वरूप की पूजा जरूर करनी चाहिए।
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Sawan Third Somwar 2024: महामृत्युंजय स्वरूप
भगवान शिव के इस स्वरूप की पूजा करने से मृत्यु पर जीत पाया जा सकता है। शिव जी इस स्वरूप में अमृत का कलश लेकर भक्त की रक्षा करते हैं। भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरूप की उपासना से अकाल मृत्यु से रक्षा, आयु रक्षा, स्वास्थ्य लाभ और मनोकामना पूर्ति होती है। इसके साथ ही “ऊं हों जूं सः” मंत्र का जाप अवश्य करें।