Akhilesh Yadav: 78वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “सांप्रदायिक नागरिक संहिता” वाली टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा है कि समय की मांग है कि सभी जातियों को उनके अधिकार और सम्मान मिले।
सपा नेता ने कहा कि देश के लिए सबसे बड़े मुद्दे हैं कि महंगाई कम हो, युवाओं को रोजगार मिले और समाजवादी लोगों के सपने पूरे हों। सभी लोगों की भागीदारी हो और हमारा समाज समृद्ध बने। सभी जातियों को उनके अधिकार और सम्मान मिले। यह समय की मांग है।
अखिलेश यादव ने कोलकाता के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की घटना को लेकर भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसी किसी भी घटना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन भाजपा को ऐसी घटनाओं पर राजनीति करने का हुनर है। उन्हें किसी भी घटना का राजनीतिक लाभ उठाने का हुनर है। ममता बनर्जी एक महिला सीएम हैं। वह दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी।
‘भेदभाव को बढ़ावा देने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं’
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि लोगों का एक बड़ा वर्ग महसूस करता है कि मौजूदा नागरिक संहिता, सांप्रदायिक नागरिक संहिता जैसी है और भेदभावपूर्ण है।
उन्होंने कहा था कि देश को धर्म के आधार पर विभाजित करने वाले और भेदभाव को बढ़ावा देने वाले कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है और 75 वर्षों के बाद धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण है।
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‘समय की मांग है देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो’
प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता के बारे में चर्चा की है और कई बार आदेश भी दिए हैं। देश का एक बड़ा वर्ग मानता है, और इसमें सच्चाई भी है कि जिस नागरिक संहिता के साथ हम रह रहे हैं, वह वास्तव में एक तरह से सांप्रदायिक नागरिक संहिता है। भेदभावपूर्ण नागरिक संहिता है।
पीएम मोदी ने कहा था कि मेरा मानना है कि इस गंभीर मुद्दे पर पूरे देश में चर्चा होनी चाहिए। सभी को अपने सुझाव लेकर आगे आना चाहिए। मैं कहूंगा कि यह समय की मांग है कि देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता हो।
प्रधानमंत्री ने कहा हमने सांप्रदायिक नागरिक संहिता में 75 साल बिता दिए हैं। अब हमें धर्मनिरपेक्ष संहिता की ओर बढ़ना होगा। तभी हम धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्त हो पाएंगे।