इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चैरिटेबल ट्रस्ट की याचिका को स्वीकार कर लिया है। हाईकोर्ट ने जमीन को तालाब करार देने वाले मंडलायुक्त के आदेश को रद्द कर दिया है। यह आदेश जज अंजनी कुमार मिश्र, जयंत बनर्जी द्वारा दिया गया है। मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि हींचलाल तिवारी केस लागू नहीं होगा। क्योंकि, यह जमीन तालाब के रूप में दर्ज नहीं है।
अलीगड़ के कमालपुर बाईपास पर चार अलग-अलग खसरा संख्या में 56 हजार गज जमीन है। इस पर कई वर्षो से पानी भरा जाता है। यह जमीन ट्रस्ट के नाम संक्रमणीय भूमिधर दर्ज है। हाल ही में ट्रष्ट द्वारा इस भूमि पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था। इस भूमि पर नाला बनाने का काम किया जा रहा था, जिसके कारण भूमि पर से पानी हटाया जा रहा था। उस निर्माण कार्य को लेकर किसी ने सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज की।
शिकायत में बताया गया कि भूमि को तालाब का स्वरुप देकर उसपर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। मंडलायुक्त ने जिला प्रशासन, नगर निगम व एडीए से अलग-अलग रिपोर्ट भी दी। रिपोर्ट जमा होने के बाद 2 दिसंबर को एडीएम सिटी अमित कुमार भट्ट, एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक समेत पुलिस की टीम ने निर्माण कार्य रुकवा दिया। साथ ही प्रशासन ने ट्रस्ट के लोगों से भूमि से जुड़े सभी कागजातों की मांग की।
ट्रस्ट पदाधिकारियों ने तर्क दिया कि यह भूमि उनकी निजी जमीन है। कोर्ट के आदेश के बाद ही इसपर निर्माण कार्य किया जा रहा है। साथ ही इसके लिए नगर निगम, तहसील समेत संबंधित सभी विभागों से एनओसी भी लिया गया है। अब सभी विभागो ने मंडलायुक्त को जमीन से जुड़े सारे अभिलेख सौंप दिए हैं। इस मामले में अब पता चला है कि भूमि पर ट्रस्ट का ही स्वामित्व है। लेकिन, ADA की महायोजना में इस भूमि को जलमग्न दर्शाया गया है। ऐसे में इस भूमि पर निर्माण कार्य करना संभव नहीं हैं। मंडलायुक्त के इसी आदेश के खिलाफ ट्रस्ट के लोग हाईकोर्ट गए थे।