Yogi Government: स्वतंत्रता दिवस के पहले स्वयं सहायता समूह की सक्रियता बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश समेत पूरा देश राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत होकर राष्ट्र सम्मान के प्रतीक तिरंगे को अपने घर, कार्यालय व कार्य क्षेत्र में फहराता है। ऐसे में स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित तिरंगों की मांग में अपार वृद्धि होती है। यही कारण है कि अगस्त में स्वतंत्रता दिवस व जनवरी में गणतंत्र दिवस आते ही प्रदेश भर में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से जुड़ी महिलाएं लगन से राष्ट्रीय ध्वज बनाना शुरू कर देती हैं।
वहीं, साल 2022 में भाजपा की डबल इंजन सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘हर घर तिरंगा’ अभियान इस परिपेक्ष्य में बेहद सहायक सिद्ध हुआ। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप प्रदेश के 4.50 करोड़ घरों पर ध्वाजारोहण किया जाएगा। यह योजना राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ाने के साथ ही स्वयं सहायता समूहों की आय में भी वृद्धि का माध्यम बन रही हैं।
2 करोड़ तिरंगे बनाने के लिए मिशन मोड पर हो रहा काम
इस साल यूपी में महिलाओं के प्रतिनिधित्व वाले 6500 स्वयं सहायता समूह 2 करोड़ तिरंगे बनाने के लिए मिशन मोड में काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि योगी सरकार ने 2024 के लिए हर घर तिरंगा अभियान के तहत 4.50 करोड़ राष्ट्रीय ध्वज बनाने का लक्ष्य रखा है। “हम सीमा पर जाकर लड़ तो नहीं सकते, लेकिन कम से कम झंडे बनाकर देश के लिए कुछ कर पाने का भाव गर्व की अनुभूति देता है।”
नारी शक्ति ग्राम संगठन की सुनीता गोस्वामी बताती हैं कि तीन साल से यह अवसर देने के लिए हम सरकार के आभारी हैं। लखनऊ के सिकंदरपुर खुर्द की रहने वाली सुनीता स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 65,000 महिलाओं में से एक हैं, जो डबल इंजन सरकार के महत्वाकांक्षी हर घर तिरंगा अभियान में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। सुनीता कहती हैं कि तिरंगा बनाने से बढ़कर कोई सम्मान नहीं है, यह ठीक वैसी खुशी है, जैसी हमें कोविड महामारी के दौरान मास्क बनाते समय महसूस हुई थी।
दो शिफ्टों में हो रहा है काम
इस पहल में शामिल महिलाएं प्रतिदिन दो शिफ्ट में काम कर रही हैं। पहली शिफ्ट सुबह 9 से दोपहर 2 बजे और दूसरी दोपहर 2 से रात 9 बजे तक संचालित हो रही है। नारी शक्ति ग्राम संगठन की प्रत्येक महिला प्रतिदिन 800 से 1,000 झंडों की सिलाई करती हैं। इससे उन्हें प्रति झंडा 2 रुपये की कमाई होती है, जो कुल मिलाकर प्रतिदिन 2,000 रुपये की आय का माध्यम बनती है। उल्लेखनीय है कि पूरे उत्तर प्रदेश में 65,000 से अधिक महिलाएं “हर घर तिरंगा” अभियान में भाग ले रही हैं, जिसका लक्ष्य 2 करोड़ राष्ट्रीय ध्वज बनाना है।
बता दें कि यह प्रयास योगी सरकार के कुल 4.50 करोड़ झंडे फहराने के व्यापक लक्ष्य का हिस्सा है। इन स्वयं सहायता समूहों द्वारा पहले ही 1.54 करोड़ झंडे बनाए जा चुके हैं। इससे प्रत्येक एसएसजी की 5,000 रुपये से 10,000 रुपये तक की आमदनी हो रही है, जो यहां कार्य करने वाली महिलाओं की आय में वृद्धि का भी सशक्त माध्यम बन रही है।
रायबरेली, बरेली और मुजफ्फरनगर हैं लक्ष्य के लिहाज से काफी आगे
“हर घर तिरंगा” अभियान के अंतर्गत योगी सरकार की पहल का राष्ट्रीय गौरव भावना में वृद्धि के साथ ही स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का उत्थान करना और इस प्रयास के माध्यम से उनकी वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देना भी है। आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज सिलने के लिए विभाग द्वारा लगभग 6,499 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सूचीबद्ध किया गया है।
रायबरेली 7.06 लाख से अधिक झंडे बनाने के लक्ष्य के साथ इस प्रयास में सबसे आगे है, इसके बाद बरेली और मुजफ्फरनगर हैं, जो क्रमशः 6.86 लाख और 6.73 लाख झंडे बना रहे हैं। यूपीएसआरएलएम की प्रबंध निदेशक दीपा रंजन ने कहा कि विभाग का लक्ष्य स्वयं सहायता समूहों की सहायता से 2 करोड़ झंडे बनाना है।
उन्होंने कहा, “हमने यह काम सिलाई में विशेषज्ञता रखने वाले स्वयं सहायता समूहों को सौंपा है। आज तक इन महिला-नेतृत्व वाले समूहों द्वारा 1.54 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय झंडे सिले जा चुके हैं।” रंजन ने बताया कि 77 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है और जल्द ही पूरे जिले में घरों और कार्यालयों में झंडे वितरित किए जाएंगे।
यूपीएसआरएलएम स्वयं सहायता समूहों के लिए कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और उनके संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए सूक्ष्म-वित्त सहायता प्रदान कर रहा है।