Lok Sabha Election 2024 results: लोकसभा 2024 के चुनावी नतीजे आ गए हैं। यूपी में नतीजे चौंकाने वाले रहे। सबसे ज्यादा हैरान किया अयोध्या के नतीजे ने। अगर बात की जाए अयोध्या कि तो यूपी में अयोध्या के फैजाबाद सीट से भाजपा के प्रत्याशी लल्लू सिंह को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने जीत का झंडा लहराया है।
अयोध्या से हुई भाजपा की हार ने सब को चौंका दिया है। लोगों को इस बात का यकीन था कि भाजपा अयोध्या में भारी वोटों से जीत हासिल करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीएम मोदी का वाराणसी के बाद सबसे ज्यादा फोक्स अयोध्या सीट पर ही था, जब चुनाव का ऐलान हुआ, तब पीएम मोदी ने यहां रोड शो भी किया था। साथ ही सीएम योगी ने भी यहां तीन जनसभाएं भी की थी, लेकिन इन सब के बाद भी समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने 54567 वोटों से भाजपा के लल्लू सिंह को हरा दिया।
साल 2024 की इस हार के बाद भाजपा ने 1993 में यूपी के विधानसभा चुनाव की याद दिला दी। जब विधानसभा चुनाव में सपा से संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बसपा के काशीराम ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। वैसा ही दौर एक बार फिर देखने को मिला। 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और भाजपा को पिछले एक दशक के बाद हार का सामना करना पड़ा।
अगर इस सीट के इतिहास पर नजर डालें तो अयोध्या के फैजाबाद सीट पर पहली बार 1957 में लोकसभा चुनाव हुआ था। तब से अभी तक 4 बार भाजपा ने और 7 बार कांग्रेस ने जीता था। बसपा, सपा और भारतीय लोक दल ने भी फैजाबाद सीट से जीत हासिल कर चुकी है। भाजपा ने बीते दस साल से यानी दो बार से फैजाबाद सीट पर अपना कब्जा जमाया था।
ऐसे ही कई सवाल उठ रहे है कि ऐसा क्या हुआ की भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और दूसरी ओर अखिलेश यादव ने ऐसी क्या रणनीति बनाई की लोगों ने भाजपा को नकार दिया। आइये जानते हैं, भाजपा की हार का मुख्य कारण।
भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह अयोध्या सीट से दो बार चुनाव जीत चुके थे और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी लल्लू सिंह को प्रत्याशी बनाया गया था। चुनाव के समय कार्यकर्ताओं से प्रतिक्रिया नहीं ली गई, जिस कारण भाजपा से युवा नेता सच्चिदानंद पांडेय ने पार्टी छोड़ चुनाव के ऐलान के 6 दिन पहले ही 12 मार्च को बसपा पार्टी को ज्वाॅइन कर लिया। उसके बाद बसपा पार्टी ने सच्चिदानंद पांडेय को अयोध्या से टिकट दिया और सच्चिदानंद पांडेय को 40 हजार से भी ज्यादा वोट मिले।
भाजपा के प्रत्याशी लल्लू सिंह 2014 से लेकर 2019 में सांसद रहे, लेकिन लल्लू सिंह न ही कभी जनता के बीच जाकर लोगो से मिले और न ही विकास के काम में कोई इच्छा दिखाई। इसके साथ ही बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा भी रहा। लल्लू सिंह पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे थे।
अयोध्या में सबसे बड़ा मुद्दा जमीन अधिग्रहण का रहा, राम मंदिर से लेकर नए घाट तक सड़क को चौड़ा किया गया, जिसके लिए सड़क के किनारे बनी दुकानों और घरों को तोड़ दिया गया। लोगो की जमीनों का अधिग्रहण हुआ, जो लोग सालों से यहा रह रहे थे, उनके घर को तोड़ दिया गया। कई जानकार बताते हैं कि जिस तरह से अयोध्या के विकास के लिए जमीनों का अधिग्रहण हुआ उसे लेकर अयोध्या के लोग बहुत ही नाराज रहे।
आइये जानते है, अखिलेश यादव ने जीतने के लिए क्या रणनिति अपनाई। अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने अयोध्या में ज्यादा ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों पर दिया। अखिलेश यादव ने दो बार चुनावी रैलियां की। एक बार बीकापुर में ओर एक बार मिल्कीपुर में और ये दोनों तहसील ग्रामीण क्षेत्र में है। अखिलेश यादव ने ग्रामीण के लोगों को युवाओं की नौकरी, मुआवजे का मुद्दा और जमीन अधिग्रहण से लोगो को अपनी ओर जोड़ा। अखिलेश यादव ने कभी राम मंदिर पर कोई टिप्पणी नहीं की।
विधानसभा 2017 के चुनाव में सपा और कांग्रेस गठबंधन काम नही किया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में ये गंठबंधन काम कर गया। ओबीस 22, मुस्लिम 19, ठाकुर 6, ब्राह्यण 18 और वैश्य 10 अयोध्या के लोकसभा क्षेत्र में हैं। जातीय समीकरण को देखा जाएं तो 2014 में भाजपा के लल्लू सिंह ने मित्रसेन यादव को 2 लाख 82 हजार वोटों से हराया था। तब कांग्रेस के प्रत्याशी निर्मल खत्री को 1 लाख 29 हजार वोट मिले और वहीं, बसपा प्रत्याशी को 1 लाख 41 हजार वोट मिले। लेकिन पिछले चुनाव में जब बसपा और सपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो ये अंतर भी घट गया और इस बार 2024 लोकसभा चुनाव में दलित, मुस्लिम और ओबीसी को वोट समाजवादी पार्टी की ओर चला गया।