योगी सरकार द्वारा दंगाइयों से सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान की भरपाई के लिए लागू अधिनियम दूसरे राज्यों को काफी भा रहा है। देश के अन्य राज्यों की सरकारें इसे मॉडल के रूप में अपना रही हैं। इसी के तहत उत्तराखंड सरकार ने भी योगी सरकार के इस फाॅर्मूले को अपनाने का निर्णय लिया है। धामी सरकार इसी बजट सत्र में उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक लाने जा रही है। इस कानून के तहत संपत्ति को नुकसान पहुंचने वालों से क्षतिपूर्ति की जाएगी। बता दें कि योगी सरकार ने सीएए-एनआरसी दंगों के दौरान आरोपियों के पोस्टर लगाए थे। सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई का नोटिस भी दंगाइयों को भेजा गया और उनसे वसूली की गई। योगी सरकार के इस अधिनियम को हरियाणा में भी लागू किया जा चुका है। अब उत्तराखंड सरकार कानून लाने जा रही है।
योगी सरकार ने वर्ष 2020 में लागू किया था उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे की सत्ता संभालने के बाद प्रदेश को दंगा मुक्त बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाये। यही वजह है कि वर्ष 2017 से पहले दंगा प्रदेश कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश को आज उत्तम प्रदेश कहा जाता है। योगी सरकार ने प्रदेश में दंगे रोकने के साथ दंगाइयों से सार्वजनिक या निजी संपत्ति के नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए देश में पहली बार उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2020 लागू किया। इसके तहत दंगाइयों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के साथ दंगा, हिंसा या उपद्रव में किसी की मौत होने पर कम से कम पांच लाख रुपये मुआवजा वसूला जा रहा है। वहीं योगी सरकार ने वसूली के लिए तीन जिलों मेरठ, लखनऊ और प्रयागराज में अधिकरण की स्थापना की थी। हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए हंगामे और उपद्रव से सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए अब उत्तराखंड की धामी सरकार कानून लाने जा रही है। इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने योगी सरकार द्वारा लागू उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अधिनियम 2020 का बारीकी से अध्ययन किया और आपस में चर्चा की। हल्द्वानी जैसी घटना की पुनरावृत्ति ना हो और ऐसे उपद्रवियों पर शिकंजा कसने के लिए अब सभी की सहमति के बाद उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक लागू होने जा रहा है। उत्तराखंड सरकार इसे विधानसभा के बजट सत्र पर लाने जा रही है। सदन में यह विधेयक पारित करने के बाद इसे कानून का रूप दिया जाएगा। बता दें कि पूरे देश में सबसे पहले योगी सरकार ने इस कानून को लागू किया था। इसके बाद हरियाणा सरकार ने वर्ष 2021 में इसे लागू किया। अब उत्तराखंड सरकार इसे लागू करने जा रही है।
योगी सरकार के कानून का अध्ययन कर तैयार किया गया विधेयक
योगी सरकार की तर्ज पर कानून बनने के बाद धामी सरकार उत्तराखंड में सार्वजनिक संपत्ति के साथ निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचने पर इसकी वसूली की व्यवस्था सुनिश्चित करने जा रही है। उत्तराखंड में योगी सरकार के कानून का अध्ययन करने के बाद विधेयक का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इस कानून के तहत नुकसान की वसूली के लिए संबंधित विभाग और निजी संपत्ति के मालिक को तीन माह के भीतर दावा करना होगा। सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में बनने वाले विभिन्न दावा अधिकरणों में नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए दावा किया जा सकेगा। आरोप तय होने पर संबंधित व्यक्ति को एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति जमा करनी होगी। इस कानून में ऐसा न करने पर दंड का प्रावधान भी किया जा रहा है। संपत्ति के साथ ही निजी क्षति को भी इस कानून में शामिल किया जा रहा है। इसमें मृत्यु के साथ ही नेत्र दृष्टि, श्रवण शक्ति, अंग-भंग होने या चेहरे के विद्रुप होने को दायरे में रखते हुए क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया जाएगा। मालूम हो कि क्षतिपूर्ति के लिए अभी तक प्रदेश में कोई व्यवस्था नहीं है।