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हिमंत बिस्वा सरमा को भारी पड़ा योगी सरकार का बुलडोजर एक्शन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर मॉडल देश में काफी प्रसिद्ध है। अधिकतर राज्यों के मुख्यमंत्री सीएम योगी के इस मॉडल को अपना रहे हैं, लेकिन हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा को सीएम योगी के बुलडोजर मॉडल को अपनाना काफी महंगा पड़ गया है। बुलडोजर एक्शन की वजह से हिमंत बिस्वा सरमा सरकार को पांच परिवारों को 30 लाख रुपये देने पड़ गए, जिनके घरों पर 2 साल पहले बुलडोजर चलाया गया था।
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Himanta Biswa Sarma: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर मॉडल देश में काफी प्रसिद्ध है। अधिकतर राज्यों के मुख्यमंत्री सीएम योगी के इस मॉडल को अपना रहे हैं, लेकिन हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा को सीएम योगी के बुलडोजर मॉडल को अपनाना काफी महंगा पड़ गया है। बुलडोजर एक्शन की वजह से हिमंत बिस्वा सरमा सरकार को पांच परिवारों को 30 लाख रुपये देने पड़ गए, जिनके घरों पर 2 साल पहले बुलडोजर चलाया गया था। इन परिवारों पर एक थाना जलाने का आरोप था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दो साल पहले अफसरों ने नागांव जिले में पुलिस स्टेशन को जलाने में पांच परिवारों के कथित शामिल होने के चलते उनके घरों पर बुलडोजर चलवा दिया था। मगर अब अदालत के आदेश के बाद सरकार ने सभी परिवारों को मुआवजा दे दिया है। इसकी जानकारी असम सरकार ने गौहाटी हाईकोर्ट को दे दी है। वहीं, असम सरकार सफीकुल इस्लाम के परिवार को 2.5 लाख रुपये का मुआवजा देगी। सफीकुल इस्लाम की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी।

क्या था पूरा मामला ?

दरअसल, साल 21 मई, 2022 को सफीकुल इस्लाम की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी। इसके बाद नागांव जिले के सलोनाबारी गांव में कुछ लोगों की भीड़ ने पुलिस स्टेशन को आग लगा दी थी। इस घटना के एक दिन बाद ही असम सरकार ने बुलडोजर एक्शन लिया। अधिकारियों ने कथित पुलिस स्टेशन पर आगजानी की घटना में शामिल पांचों परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलवा दिया था। उस वक्त पुलिस का कहना था कि ध्वस्त किए गए घर उन लोगों के थे, जो अवैध रूप से या फिर फर्जी दस्तावेजों के साथ वहां बसे थे।

पीड़ितों के घरों पर बुलडोजर एक्शन पर गौहाटी हाईकोर्ट ने पिछले साल संज्ञान लिया था। हाईकोर्ट में उस वक्त की चीफ जस्टिस आर एम छाया की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की थी। चीफ जस्टिस ने इस एक्शन को अवैध बताया था और राज्य सरकार को अवैध कार्रवाई से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने उस वक्त के पुलिस अधीक्षक को कड़ी फटकार भी लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस बिना अनुमति के किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चला सकती।

इस मामले में इसी साल 24 अप्रैल को पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) ने राज्य सरकार के गृह और राजनीतिक विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी को मुआवजे का प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में हर पक्के घर के लिए 10 लाख रुपये और ध्वस्त किए गए हर कच्चे घर के लिए 2.5 लाख रुपये की सिफारिश की गई थी। असम सरकार ने सोमवार दो पक्के मकान और चार कच्चे ध्वस्त मकानों के लिए मुआवजा दिया। हालांकि, बुधवार को गौहाटी हाईकोर्ट ने असम सरकार से यह भी पूछा कि आखिर घरों पर बुलडोजर चलवाने वाले दोषी अफसरों के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया है। अदालत ने चार हफ्ते के अंदर इसकी जानकारी मांगी है।


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