IIT Kanpur Artificial Rain: आपने बारिश के मौसम में बादलों को तो खूब देखा होगा। आसमान में कभी-कभी घने बादल छाते तो हैं लेकिन हमेशा बारिश नहीं होती। अब ये बादल बिना पानी बरसाए वापस नहीं जा पाएंगे। प्रदेश में पहली बार कृत्रिम बारिश कराने के लिए परीक्षण पूरे हो चुके हैं।
आपको यह सुनकर अजीब लग रहा होगा लेकिन, IIT कानपुर के प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कुछ ऐसा ही कारनामा किया है। दरअसल, प्रो. मणींद्र अग्रवाल कृत्रिम बारिश के लिए लंबे समय से परीक्षण कर रहे थे। अब यह परीक्षण पूरा हो गया है। कृत्रिम बारिश के प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी गई है। मार्च के अंत तक घने बादलों को देख कर लखनऊ में आम लोग इस कृत्रिम बारिश का लुफ्त उठा सकेंगे। बता दें कि कृत्रिम बारिश पर 2017 से ही परीक्षण किया जा रहा था।
IIT कानपुर को अधिकतम ऊंचाई पर विमान उड़ाने की परमिशन भी नागर विमानन मंत्रालय (DGCA) से मिल चुकी है। इसकी सूचना IIT ने पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन और जल मंत्रालय को भेज दी है। कृत्रिम बारिश की सहायता से खेती और हवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाकर वायु प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा पाएगा।
ऐसे कराई जाएगी कृत्रिम बारिश
परीक्षण में शामिल IIT कानपुर के सलाहकार दीपक सिन्हा ने मीडिया को बताया कि ‘क्लाउड सीडिंग’ मौसम में बदलाव लाने का एक वैज्ञानिक तरीका है। इसके तहत कृत्रिम तरीके से बारिश करवाई जाएगी। बारिश करवाने के लिए विमानों का इस्तेमाल किया जाएगा। इनके जरिए सिल्वर आइयोडइड, साल्ट और ड्राई आइस को आसमान में पहले से मौजूद बादलों में छोड़ा जाता है। इस तरीके को क्लाउड सीडिंग कहा जाता हैं।
इस तरीके से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में बारिश कराई जा सकती है। ये वायु प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी बहुत फायदेमंद साबित होगा।