उत्तर प्रदेश में बसों से सफर करने वाले यात्रियों को जल्द राहत मिलने वाली है। जल्द ही प्रदेश के कई रूटों पर अब इलेक्ट्रिक बस (Electric Bus) दौड़ेंगी। प्रदेश सरकार यूपी रोडवेज बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदलने की योजना पर काम कर रही है। इसके तहत प्रदेश के करीब 2500 से ज्यादा रूटों पर 5 हजार इलेक्ट्रिक बसों को संचालित करने का फैसला लिया है। ये बसें हाईटेक होंगी। इससे प्रदूषण को कम करने पर काफी फोकस होगा। इसके अलावा, यात्रियों को बसों में आरामदायक सफर की सुविधा मिलेगी। साथ ही अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं और टूरिस्ट्स को भी आवागमन में आसानी रहेगी।
प्रदेश को मिलेगी प्रदूषण रहित इलेक्ट्रिक बसों की सौगात
उत्तर प्रदेश के परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह (Dayashankar Singh) के मुताबिक, प्रदेश के कई जिलों में डीजल बसों को हटाकर उनकी जगह इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगीं। इसी के चलते 5000 इलेक्ट्रिक बसों के लिए 14 जून को टेंडर जारी किया जाएगा। जल्द ही प्रदेश को प्रदूषण रहित इलेक्ट्रिक बसों की सौगात मिलेगी। राज्य के परिवहन नेटवर्क को लंबे समय तक बनाए रखने के तौर पर 50,000 बसों के बेड़े को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जो कि आने वाले वर्षों में पूरी हो जाएगी।
इन जिलों में दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें
परिवहन राज्यमंत्री का कहना है कि पहले चरण में प्रयागराज, आगरा और गाजियाबाद क्षेत्रों से जुड़े जिलों के बीच लगभग 200 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली इलेक्ट्रिक बसें लगाई जाएंगी। वहीं, प्रयागराज से सटे जिले जैसे बनारस, कानपुर, विंध्याचल धाम, चित्रकूट, अयोध्या और लखनऊ आदि को जोड़ा जाएगा। आगरा और गाजियाबाद क्षेत्रों से सटे जिलों को भी इलेक्ट्रिक बसों से जोड़ा जाएगा। यें बसें अनुबंध के आधार पर लगाई जाएंगी।
जानें इलेक्ट्रिक बसों का किराया
परिवहन राज्यमंत्री ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों का किराया भी वर्तमान में चल रही तीन और दो सीटर एसी बसों के बराबर ही होगा। किराए की लिस्ट बसों के चालू होने से पहले जारी की जाएगी। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक बसों के चार्जिंग स्टेशन के लिए जमीन और बिजली के कनेक्शन परिवहन निगम उपलब्ध कराएगी। परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) के डिपो में यह व्यवस्था उपलब्ध होगी। इन बसों का 12 वर्षों तक मेंटेनेंस बसों के मालिक खुद करेंगे। इसके अलावा, ड्राइवर की ट्रेनिंग की व्यवस्था भी बसों के मालिकों को ही करनी होगी।