NDA सरकार के तीसरे कार्यकाल में अब तक कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिले हैं। लगभग सभी बड़े मंत्रालय उन्हीं बड़े नेताओं के पास रहे हैं, जो 2019 में सरकार में बड़ी ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे। लेकिन NDA सरकार के तीसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही, जो एक बात चर्चा का विषय बन गई है, वो सीधे तौर पर राजनाथ सिंह से जुड़ी है। माना जा रहा है कि राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की पकड़ वर्तमान दौर में सरकार के साथ संगठन पर भी पहले ज्यादा मजबूत हो गई है।
राजनाथ सिंह 2019 से ही देश के रक्षा मंत्री बने हुए हैं और उनके काम की सराहना भी कई मर्तबा हो चुकी है, लेकिन वर्तमान दौर में इस वक्त देश की राजनीति में राजनाथ सिंह का ज़िक्र सत्ता पक्ष के सबसे डिफेंसिव पॉलिटिशियन के तौर पर हो रहा है। केंद्र में BJP के अगुवाई में, PM मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार जिस मजबूती से विपक्ष की साझा चुनौती इंडिया की तमाम सियासी रणनीतियों के बावजूद आगे बढ़ रही है उसका एक सशक्त आधार राजनाथ सिंह को माना जा रहा है।
दरअसल, जब 2024 लोकसभा चुनाव के 4 जून को परिणाम आए थे तो विपक्ष के साथ-साथ सत्ता पक्ष में अंदरखाने भी इस बात को लेकर हलचल थी कि सरकार का गठन कैसे होगा। कौन प्रधानमंत्री बनेगा। कौन गृहमंत्री बनेगा और सहयोगियों की मांगे कैसी पूरी होगी। सरकार की तस्वीर कैसी होगी। इन तमाम सवालों का जवाब राजनाथ सिंह की अगुवाई में BJP सफलता तलाशते हुए नज़र आई है। आपको याद होगा नई सरकार के गठन के बाद एनडीए सहयोगियों की पहली दो बैठकें राजनाथ सिंह के आवास यानी कि 17, अकबर रोड पर ही हुई थीं। वहीं, जब चुनाव परिणाम आ रहे थे तब भी BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा राजनाथ सिंह के साथ मंथन करते नज़र आ रहे थे।
अब स्पीकर पद पर छिड़े संग्राम के दौर के बीच भी सहयोगियों को साधने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर राजनाथ सिंह के कंधों पर है और उसे वो बखूभी निभा रहे हैं। अंदरखाने भले ही कुछ भी चल रहा हो मगर स्पीकर पद को लेकर मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर BJP का कोई भी सहयोगी दल सार्वजनिक तौर पर कोई भी टिप्पणी करते हुए नज़र नहीं आया है।
बात ये है कि 2014 में जब केंद्र BJP को पूर्ण बहुमत मिला था उस वक्त BJP की कमान राजनाथ सिंह के पास ही थी और चुनाव बाद वो गृहमंत्री भी बने थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सरकार में नंबर दो माने जा रहे थे लेकिन जब 2019 सत्ता में मोदी सरकार की वापसी हुई थी गृह मंत्री अमित शाह बन गए और रक्षा मंत्रालय राजनाथ सिंह दिया गया। तो उस दौर में राजनाथ सिंह के सियासी कद पर सवाल उठने लगे थे, लेकिन फिर कुछ ही दिनों में 2019 मे तस्वीर साफ हो गई थी कि भले अमित शाह ने गृह मंत्रालय की कमाल संभाली हो, लेकिन लोकसभा में उपनेता राजनाथ सिंह ही रहेंगे। तब से अबतक राजनाथ सिंह सरकार में नंबर-2 की पोज़िशन पर बरकरार है, लेकिन दूसरी ओर सवाल उठता है कि वर्तमान हालात में राजनाथ सिंह BJP के सबसे बड़े सफल रणनीतिकार कैसे साबित हो रहे हैं। उसका जवाब आपको उस दौर की सियासत की ओर ले जाएगा, जब जनसंघ से हुए BJP जन्म के बाद BJP के नेताओं को दो धड़ों में बांटकर देखा जाता था।
एक धड़े को गर्म दल की से जोड़ा जाता था, जबकि दूसरे को नरम दल से जोड़कर देखा जाता था। उस दौर में राजनाथ सिंह की पहचान नरम दल के ऐसे नेता के तौर पर बनी, जो विरोधियों को जवाब अपनी रणनीति से देता है। सभी दलों से सभी नेताओं से अपने संबंध मथुर रखता है राजनाथ सिंह की वही कुशलता आज के दौर में उनके लिए वरदान साबित होती दिख रही है।
राजनीति को करीब से देखने वाले लोग जानते हैं कि राजनाथ सिंह हर हालत में गैर जरुरी बयानबाजी से परहेज रखते हैं, जिसके चलते ही पक्ष हो या विपक्ष हर दल के नेता उनका सम्मान करते हैं। तभी जिस दौर में ऐसी ख़बरें उड़ रही है कि स्पीकर का पद अगर BJP के सहयोगियों को नहीं मिला, तो सियासी घमासान हो सकता है। उस वक्त भी BJP राजनाथ सिंह को ही संकटमोचक मानकर चल रही है और उम्मीद जताई जा रही है। राजनाथ सिंह ने सभी को साध लिया है। स्पीकर का पद BJP के खाते में ही जाएगा और सहयोगियों को डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाएगा।
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