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चुनाव रिजल्ट से पहले फिर आध्यात्मिक दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, जानें क्या है वजह

विवेकानंद रॉक मेमोरियल वही जगह है,जहां 1892 में स्वामी विवेकानंद ने तीन दिनों तक ध्यान लगाया था। यह भी कहा जाता है कि इसी जगह उन्हें भारत माता की दिव्य अवधारणा की अनुभूती हुई थी।

Loksabha Election 2024: साल 2024 लोकसभा चुनाव का आखिरी फेज का चुनाव प्रचार खत्म हो गया है। चुनाव प्रचार के खत्म होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर आध्यात्मिक यात्रा पर निकल रहे हैं। पीएम मोदी तमिलनाडु से कन्याकुमारी की यात्रा पर जाएंगे। पीएम मोदी 30 मई को कन्याकुमारी पहुंचेंगे और 1 जून तक वहीं रहेंगे। ये वही जगह है जहां पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था, पीएम मोदी भी कन्याकुमारी में महासागर के बीच उभरी एक विशाल चट्टान पर ध्यान लगाएंगे। चुनाव अभियान के बाद पीएम मोदी का यह कोई पहला आध्यात्मिक दौरा नहीं हैं। इससे पहले भी पीएम मोदी साल 2014 में शिवाजी के प्रतापगढ़ और साल 2019 में उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ गुफा में ध्यान करने जा चुकें हैं। पीएम मोदी जहां भी दौरे के लिए जाते हैं, वो जगह प्रयटकों की मनपंसद जगहों में से एक बन जाती है।

बता दें, चुनाव प्रचार 30 मई की शाम 5 बजे खत्म हो रहा है। 1 जून के वोटिंग होनी है। पीएम मोदी पंजाब के होशियारपुर में अपनी आखिरी रैली करेंगे। इसके बाद वो वहीं से तमिलनाडु के कन्याकुमारी के लिए रवाना हो जाएंगे। पीएम मोदी कन्याकुमारी के समुद्र तट से 500 मीटर भीतर स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुंचेंगे और 31 मई से एक जून की शाम तक ध्यान मंडपम में ध्यान लगाएंगे। प्रशासन ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।


विवेकानंद रॉक मेमोरियल वही जगह है,जहां 1892 में स्वामी विवेकानंद ने तीन दिनों तक ध्यान लगाया था। यह भी कहा जाता है कि इसी जगह उन्हें भारत माता की दिव्य अवधारणा की अनुभूती हुई थी। विवेकानंद रॉक मेमोरियल भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी दो घंटों तक ध्यान लगाया था।

क्यों महत्वपूर्ण है यह शिला

कहा जाता है कि कन्याकुमारी के इस यात्रा से स्वामी विवेकानंद के जीवन पर बहुत खास प्रभाव पड़ा था, ठीक उसी प्रकार जैसे सारनाथ में गौतम बुद्ध के जीवन में पड़ा था। स्वामी विवेकानंद पूरे देश का भ्रमण करने के बाद यहां पहुंचकर लगातार तीन दिनों तक तप किया था और विकसीत भारत का सपना देखा था।

इस शिला का महत्व ऐतिहासिक होने के साथ-साथ पौराणिक भी है। मान्याताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए इसी शिला पर तप किया था। बता दें कि यहीं पर पूर्वी और पश्चिमी तट रेखाएं भी मिलती हैं।


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