Loksabha election 2024: पहले चरण में उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर मतदान होना है। साल 2014 की में हुए लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर भाजपा को बहुमत मिला था। भाजपा के प्रत्याशियों को आठ में से 8 सीटों पर जीत मिली थी वहीं साल 2019 में यहां पर भाजपा 8 में से महज 3 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी। इस बार फिर से चुनाव पश्चिम से ही शुरू हो रहा है। पश्चिमी यूपी की आठ लोकसभा सीटों पर चुनाव के लिए बुधवार को नामांकन किया जाएगा। कई सीटों पर मुख्य दल ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए हैं ऐसे में अभी तक चुनावी तस्वीर साफ नहीं है। इन चुनाव में रालोद नेता जयंत चौधरी का कद और भविष्य दोनों तय होंगे। चुनाव से ठीक पहले जयंत एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं। अभी देखना होगा इससे उनका फायदा होता है या नुकसान।
पिछले चुनाव में 8 सीटों पर पहले चरण में चुनाव हुए उनमें सपा व बसपा ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा- रालोद, सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा की अहम भूमिका होने वाली है। इन चुनाव में जयंत, संजीव बालियान,ओम कुमार और वरुण गांधी पर सभी की निगाहें होंगी।
यूपी का यह इलाका किसान और जाट नेता अजीत सिंह के प्रभाव वाला माना जाता है। उनकी पार्टी की हार हो या जीत हो लेकिन हर दल उन्हें अपने साथ लेना फायदे का सौदा मानता है। अजीत भी अपनी इस अहमियत की भरपूर सियासी कीमत वसूल रहे हैं इस बार के चुनाव में अजीत सिंह के बिना उनके कार्यकर्ता मैदान में हैं। कुछ दिन पहले पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का काम कारगर साबित होगा या नहीं यह तो चुनाव के नतीजे ही बताएंगे। जयंत पिछले चुनाव का जाट, दलित, मुस्लिम का समीकरण छोड़कर भाजपा के साथ आए हैं तभी देखना होगा चुनाव में उनको कितना फायदा मिलता है या नुकसान।
पहले चरण में जिन सीटों पर चुनाव होने वाले हैं उसमें एक सीट रामपुर भी है। रामपुर सीट पर इस बार आजम खान के बिना चुनाव होंगे। पिछले 5 सालों में काफी उतार चढ़ा हुआ है इस वक्त यहां से उपचुनाव में भाजपा के घनश्याम लोधी सांसद हैं और यहीं से भाजपा ने लोधी को फिर से प्रत्याशी बनाया है। अभी देखना होगा इस बार के चुनाव में कौन जीता है।
बिजनौर: भाजपा और रालोद में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन हुआ है और रालोद को दो सीट बिजनौर और बागपत मिली हैं। बिजनौर में पहले चरण में चुनाव होना है। साल 2019 में हुए चुनाव में सपा, बसपा और रालोद गठबंधन में बिजनौर सीट बसपा के पास गई थी जहां पर बसपा प्रत्याशी मलूक नागर चुनाव जीते थे। इस बार रालोद ने चंदन चौहान और सपा ने यशवीर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाकर यहां चुनाव में उतारा है, तो वहीं बसपा अकेली चुनाव लड़ रही है। साल 2019 में एक साथ चुनाव लड़ने वाले तीन दलों के प्रत्याशी इस बार अलग-अलग एक दूसरे के आमने-सामने होंगे।
मुजफ्फरनगर: साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और रालोद मुखिया अजित सिंह आमने-सामने थे बालियान को यहां से लगातार दूसरी बार जीत मिली थी। इस बार के चुनाव में अजीत सिंह नहीं रहे हालात बदल चुके हैं आज भाजपा और रालोद एक साथ आ चुकी हैं ऐसे में देखना होगा कि रालोद अपनी भी ताकत बालियान के साथ लगाएगी या फिर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक को जीत मिलेगी।
सहारनपुर: पिछले चुनाव में यहां से बसपा को जीत मिली थी। इस बार यहां से भाजपा कांग्रेस व्यवस्था में किसी ने भी अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है।
कैराना: साल 2019 के चुनाव में भाजपा के प्रदीप कुमार चौधरी यहां से समाजवादी पार्टी की तबस्सुम बेगम को हराकर चुनाव जीते थे। इस चुनाव में पूर्व सांसद मुनव्वर हसन और तबस्सुम बेगम की बेटी इकरा हसन को समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां से अभी तक बसपा ने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है।
नगीना: इस सीट पर अभी तक समाजवादी पार्टी ने सेवानिवृत्त जज मनोज कुमार और भाजपा ने ओम कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया है दोनों ही दलों ने इस बार इस सीट पर नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है वहीं बसपा की ओर से अभी तक यहां टिकट फाइनल नहीं किया गया है पिछले चुनाव में बसपा ने गिरीश चंद्र को टिकट दिया था और वह चुनाव जीते थे।
मुरादाबाद: इस सीट पर अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है अभी देखना होगा यहां से कौन चुनाव जीता है।
पीलीभीत: इस सीट से लगातार वरुण गांधी चुनाव जीते आ रहे हैं लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनके तेवर बदल गए हैं कई बार वह अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़े करते हैं तो वहीं सवाल करते नजर आते हैं अभी देखना होगा क्या इस सीट पर भाजपा दोबारा वरुण गांधी को टिकट देती है या नहीं अभी तक इस सीट पर भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं वहीं समाजवादी पार्टी और बसपा में भी अपने प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया है।