Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 के पांच चरणों का चुनाव समाप्त हो चुका है और अब दो चरण बाकी है। उत्तर प्रदेश की 80 में से 27 सीटों पर अब मतदान शेष है और यह सभी 27 सीटें पूर्वांचल यानी पूर्वी उत्तर प्रदेश में आती है। पूर्वांचल की सभी 27 सीट दोनों ही गठबंधनों के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण बताई जा रही है। इसीलिए इंडिया गठबंधन हो चाहे एनडीए गठबंधन दोनों ही गठबंधनों ने अपनी ताकत झोंक दी है। गौर करने वाली बात यह है कि एनडीए में भारतीय जनता पार्टी का साथ दे रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी और अपना दल एस की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। क्योंकि तीनों ही दल इन्हीं 27 सीटों में अपने प्रत्याशियों के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इन्हीं 27 सीटों में आता है।
वहीं, दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल तृणमूल कांग्रेस एक और कांग्रेस पार्टी पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इन सीटों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने अपने फ्रंटल संघटनों के पदाधिकारी को झोंक दिया है। आलम यह है कि पूर्वांचल की इन सभी सीटों पर एक-एक वोट का हिसाब किताब रखा जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश मध्य यूपी और बुंदेलखंड में चुनाव होने के बाद यहां के ज्यादातर नेताओं को पूर्वांचल की इन सीटों पर कैंपेन के लिए उतार दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी ने वाराणसी में महिला सम्मेलन के जरिए नया प्रयोग कर दिया है और आसपास की सीटों पर प्रचार का नया मॉडल अपनाया जा रहा है। बीजेपी की ओर से पूर्वी उत्तर प्रदेश की सीटों पर जल जीवन मिशन, मकान और शौचालय समेत अन्य योजनाओं का लाभ पाने वाले लाभार्थियों की ब्लॉक स्तर पर सूची निकाल ली गई है। इस सूची के जरिए मतदाताओं तक पहुंचकर उन्हें भाजपा कार्यकर्ता समझने का प्रयास कर रहे हैं कि कैसे मोदी सरकार उनके सुख-दुख में उनके साथ खड़ी हुई है और देश को विकास की ओर ले जा रही है।
प्रत्येक विधानसभा को तीन से चार हिस्से में बांटकर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में ताबड़तोड़ बैठकें की जा रही हैं। इतना ही नहीं पार्टी ने नई रणनीति के तहत समूह बैठकों का एजेंडा अपनाया है। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, कपड़ा, कारोबारी, दवा और व्यापारी की बैठक तय की गई है। भारतीय जनता पार्टी सूत्रों की माने तो चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत नेताओं को इसी क्षेत्र में लोगों से मिलने के लिए लक्ष्य दे दिया गया है। इसके लिए बाकायदा विधानसभा क्षेत्रवार सूची सौंप दी गई है। खास बात यह है कि पिछड़े वर्ग पर ज्यादा फोकस किया गया है और इसीलिए पिछड़े वर्ग की जहां जिस जाति की आबादी है उस क्षेत्र में इस बिरादरी के नेताओं को भेजा गया है। भाजपा पिछड़ा वर्ग काशी क्षेत्र के पदाधिकारी की माने तो वाराणसी और आसपास की सीटों पर इटावा एटा फर्रुखाबाद मैनपुरी सहित सैफई के आसपास के यादव नेताओं को काम पर लगा दिया गया है। इसी तरह निषाद बहूल इलाके में इसी बिरादरी के नेताओं को जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
अब इंडिया गठबंधन की अगर बात करें तो पूर्वांचल की सीटों पर इंडिया गठबंधन ने अपनी अलग रणनीति बनाई है। सपा और कांग्रेस इस इलाके को सियासी तौर पर उपजाऊ मानती है इसी वजह से बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की जिन सीटों पर रैलियां हो रही है उन पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। कांग्रेस ने इसके लिए तो अलग से टीम भी बना दी है इस टीम का काम नेताओं के कार्यक्रम और उनके द्वारा सभाओं में उठाए गए सवाल का जवाब तैयार कर अपने पार्टी के नेताओं को भेजना है। इतना ही नहीं अगले दो-तीन दिन में संबंधित इलाके में न सिर्फ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सभा लगाई जा रही है बल्कि उन सीटों पर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए नई रणनीति अपनाई जा रही है। कांग्रेस और सपा ने इन सीटों के लिए रायबरेली अमेठी मॉडल को लागू कर दिया है।
कांग्रेस ने विधानसभा क्षेत्र को सेक्टर में बांटकर बूथों पर जिस बिरादरी का वोट बैंक है उसकी बिरादरी के नेता को लगा दिया है। इन दोनों पार्टियों ने यादव और मुसलमान के अलावा अन्य जातियों के नेताओं को जिम्मेदारी देने पर जोर दिया है। ब्राह्मण बहुल इलाके की जिम्मेदारी खुद कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने संभाली है। वह दिन में सपा कांग्रेस के नेताओं के बीच समन्वय बैठक कर रहे हैं, तो रात में ब्राह्मण बहुल इलाकों में रात्रि चौपाल लगा रहे हैं। इसी तरह सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजपाल कश्यप….. निषाद कश्यप बिंद बिरादरी के बीच रात में बैठक कर रहे हैं। कश्यप का दावा है कि सपा की ओर से निषाद बिरादरी के पांच प्रत्याशी उतारने का पार्टी को बहुत फायदा मिल रहा है।