1st Phase Voting Result: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 21 राज्यों के 102 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है। चुनाव आयोग ने इस बार मतदाताओं को घरों से बाहर निकालने के लिए बहुत जतन किए थे, जागरूकता के लिए कई सारे कार्यक्रम चलाए गए तो वृहद स्तर पर विज्ञापनों का सहारा लिया गया। लेकिन, पहले चरण में मतदाताओं का रुझान घरों पर रहने का ज्यादा और घर से बाहर निकल कर मतदान करने का कम रहा है।
उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर पहले चरण में हुए मतदान के आंकड़ों को अगर देखा जाए तो करीब 5.9 फ़ीसदी मतदान कम दर्ज किया गया है। साल 2019 में हुए इन आठ सीटों में मतदान प्रतिशत में 6 प्रतिशत की कमी से चुनाव आयोग के माथे पर लकीरें हैं। वहीं, मतदान प्रतिशत कम होने के राजनीतिक दल अपने अपने मायने भी निकल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी की माने तो चुनाव आयोग ने दावे तो बहुत किए थे, लेकिन लोगों को घरों से निकलकर मतदान केंद्र तक लाने की आयोग की कोशिश निरर्थक साबित हुई और इसका नतीजा मतदान प्रतिशत में कमी के रूप में साबित हुआ।
भाजपा ने मौसम को बताया जिम्मेदार
वहीं, भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि आयोग ने अपनी तरफ से भरसक कोशिश की थी। लेकिन, प्रतिकूल मौसम की वजह से लोग घरों से बड़ी संख्या में बाहर नहीं निकले और मतदान नहीं किया, जिसके चलते इस बार लोकसभा चुनाव में प्रथम चरण में मतदान प्रतिशत में बड़ी कमी दर्ज की गई है।
वहीं जानकारों की माने तो विपक्ष अपने पक्ष में मतदाताओं की गोलबंदी करने में उतना सफल नहीं हो पाया जीतने की उम्मीद की जा रही थी। अगर मतदाता बड़ी संख्या में बाहर निकलते हैं और मतदान का प्रतिशत बढ़ता है, तो इसका सीधा मतलब यह निकाला जाता है कि जनता बदलाव के मूड में है। लेकिन, जिस तरह से 6 फ़ीसदी के करीब मतदान कम हुआ है यह सत्ता पक्ष के लिए राहत भरी खबर जानकार बता रहे हैं।
मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए उठाए हर कदम: EC
चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि आयोग ने हर उस कदम को उठाने की कोशिश की है, जिससे मतदान के प्रतिशत को हर हाल में बढ़ाया जा सके। पहले चरण से सबक लेते हुए आगे के चरणों में जागरूकता कार्यक्रमों को और ज्यादा व्यापक रूप दिया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाया जाए और मतदान का प्रतिशत बढ़ाते हुए लोकतंत्र के पर्व में सब की सहभागिता सुनिश्चित की जा सके।